नई दिल्ली: विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को संसद की स्थायी समिति को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य संघर्ष सिर्फ पारंपरिक था और पाकिस्तान की ओर से कोई परमाणु संकेत (nuclear signaling) नहीं मिला।
सूत्रों के अनुसार, मिस्री ने समिति को बताया कि सैन्य कार्रवाई को रोकने का निर्णय द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया था। कुछ सांसदों ने अमेरिका द्वारा संघर्ष रोकने में भूमिका निभाने के दावे पर सवाल उठाए थे।
गौरतलब है कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (DGMOs) के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी।
बैठक में जब सांसदों ने पूछा कि क्या पाकिस्तान ने चीनी सैन्य प्लेटफॉर्म्स का उपयोग किया, तो मिस्री ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया।
शशि थरूर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अभिषेक बनर्जी (TMC), राजीव शुक्ला, दीपेन्द्र हुड्डा (कांग्रेस), असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM), अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल (BJP) सहित कई सांसदों ने भाग लिया।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर आतंकियों के नौ ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया।
रक्षा मंत्रालय ने रविवार को इस ऑपरेशन की नई तस्वीरें जारी करते हुए इसे बदले का नहीं बल्कि न्याय का प्रतीक बताया।
इस बीच केंद्र सरकार ने 33 वैश्विक राजधानियों में सभी दलों के प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है, ताकि भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पीछे के संकल्प को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताया जा सके।

