
बोकारो। ओएनजीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक सुभाष कुमार ने चौथी हस्तशिल्प परियोजना का उद्घाटन किया, ताकि ‘प्रशिक्षण और विकास के लिए लाख हस्तशिल्प इकाई’ की स्थापना की जा सके। यह परियोजना, जो भारत की आजादी के 75 साल – आजादी का अमृत महोत्सव के पालन का एक हिस्सा है । इससे झारखंड के खूंटी और उसके आसपास के गांवों के कारीगरों, ज्यादातर महिलाओं को प्रशिक्षित और प्रोत्साहित करने की उम्मीद है।
सीएमडी सुभाष कुमार ने कहा कि ओएनजीसी, देश के ग्रामीण हिस्सों में इस तरह की पहल के माध्यम से कला और सांस्कृतिक को विकसित करने और उनके लिए बाजार लाने का प्रयास कर रहा है।
श्री कुमार ने कहा,
“इन पहलों से हमारी समृद्ध कला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सकेगा और ग्रामीण या आदिवासी क्षेत्रों के कारीगरों को आर्थिक स्थिरता भी मिलेगी।”
सीएमडी ने कहा कि परियोजनाओं से न केवल स्थायी महिला सशक्तिकरण होगा बल्कि देश के समग्र विकास में भी मदद मिलेगी।
निदेशक (एचआर) डॉ अलका मित्तल ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में हस्तशिल्प उद्योग से जुड़ने से संतुष्टि की भावना पैदा होती है और देश की अर्थव्यवस्था के लिए निर्यात के माध्यम से भी राजस्व उत्पन्न होना एक व्यवसायिक मामला है।
ओएनजीसी के निदेशक (तटवर्ती) अनुराग शर्मा ने दोहराया कि ओएनजीसी की इस तरह की पहल से कला और शिल्प का समग्र विकास होगा, और व्यक्तिगत कारीगरों, गांवों और परिणामस्वरूप पूरे देश की जीवन शैली भी करवट लेगी।
अनुराग शर्मा ने उल्लेख किया कि खूंटी में ओएनजीसी की चौथी हस्तशिल्प परियोजना का उद्देश्य छह प्रशिक्षित मास्टर प्रशिक्षकों और 25 प्रशिक्षु कारीगरों के साथ हस्तशिल्प इकाई स्थापित करना है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं।
भारत की आजादी के 75 साल के अवसर पर – आजादी की अमृत महोत्सव, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तत्वावधान में सीपीएसई देश भर के विभिन्न जिलों में 75 परियोजनाएं शुरू करेंगे। ओएनजीसी ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है और 75 में से 15 परियोजनाओं को अपने हाथ में ले रही है और पहले चरण में पांच परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं।
ओएनजीसी ने स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए देश भर में घटती और संघर्षरत हस्तशिल्प परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए अब तक चार पहल शुरू की हैं।

