Thursday 21st of November 2024 09:49:13 AM
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हाथियों के झुंड की चपेट में आने से एक की हुई मौत, एक का टूटा हांथ

उज्जवल दुनिया संवाददाता
दारू। प्रखंड के कविलासी पंचायत के बलिया गांव में बीती रात को हाथियों का उत्पात जो की एक महीने से पूरे प्रखंड में चल रहा है वह चरम पर था. हाथी 30-35 की संख्या में रात को 7:30 – 8:00 बजे बलिया गांव में पहुंचे और किसानों कि खेती को नुकसान पहुंचाने लगे. चुंकि बलिया गांव के अधिकतर निवासी का आय का स्रोत खेती-बारी है किसान टॉर्च लाइट और लाठी -डांटे लेकर शोर मचाते हुए हाथियों को भगाने का अपने स्तर से हाथियों को भगाने का कोशिश करने लगे इसी बीच हाथी शोर-गुल सुन कर पीछे हट गए, पर रात होने के कारण ग्रामीण यह भाप ना सके की सभी हाथी पीछे हट गए हैं या नहीं ग्रामीणों ने अनुमान लगाया कि हाथी जा चुके हैं .और थोड़े लापरवाह हो गए पर ग्रामीणों का अनुमान बिल्कुल भी गलत निकला इसी बीच एक ग्रामीण जिनका नाम अशोक रविदास पिता सहदेव रविदास जो की पूर्व मुखिया राखी देवी के पति थे उनका कहीं से फोन आया वह फोन पर बात करने लगे जिस वजह से उनका ध्यान भटक गया इसी बीच झुंड में से एक हाथी जो की छिपा हुआ था ने हमला कर दिया क्योंकि अशोक रविदास फोन पर बात कर रहे थे वह अचानक हुए हमले को से सतर्क नहीं हो पाए और भागने में विलंब कर दिया और हाथी के चपेट में आ गए हाथी ने उन्हें अपने सूंड से पड़कर कुछ मर्तबा पटक दिया और पैरों से कुचल दिया. इनके साथ जितने लोग थे वह भागने में कामयाब रहे इसी बीच मोहम्मद स्माइल अंसारी यह भी ग्राम बलिया के हैं दौड़ते हुए भागे इस क्रम में उनका हाथ टूट गया पर अशोक रविदास इतने खुशकिस्मत नहीं रहे और हाथी ने उनका जान ले लिया. अशोक रविदास रविवार को ही अपनी बड़ी बेटी जिनका नाम नेहा है विवाह के लिए वर देखने के लिए बरही के परसौनी गए थे घर में काफी खुशी का माहौल था घर लौटे थे, और तुरंत हाथियों से अपने फसल बचाने का प्रयत्न करने लगे. तत्पश्चात वन विभाग को फोन किया गया वन विभाग की टीम और वन विभाग की एलीफेंट रीडिंग टीम दोनों फौरन घटनास्थल पर पहुंची पर अशोक रविदास को बचाया न जा सका वन विभाग से विद्या भूषण केसरी फॉरेस्टर गोपी पासवान वनरक्षक और एलीफैंट रीडिंग टीम जिसमें 7 लोग थे क्रमशः राजेंद्र उरांव, राजू धान, राजू धन 2, सावन तिग्गा ,अनीश धान, आलोक धन और मोहम्मद इमरान शामिल थे क्योंकि रात होने के कारण बचाव कार्य में बधा आ रहा था हाथियों का मूवमेंट सटीक न मिलने के कारण वन विभाग की टीम एवं दारू थाना की टीम एवं ग्रामीण लगातार रेस्क्यू करने का प्रयत्न कर रहे थे ,पर और बड़ी घटना होने के अंदेशा से बहुत सतर्कता के साथ आगे बढ़ रही थी. क्योंकि हाथियों का झुंड आसपास के झाड़ियां एवं खेती और मक्के की खेती के आसपास ही थे जिस कारण बचाव-कार्य में बहुत ही दिक्कत और समय लग रहा था. फिर अशोक रविदास पर जहां हमला हुआ था वहां जाने पर देखा गया कि अशोक रविदास की शरीर छत विच छत थी और उनकी सांसे बंद हो गई थी. विद्याभूषण केसरी जो की फॉरेस्टर है उनसे बात करने पर उन्होंने बताया कि सुबह 7:00 बजे हाथी को दूर करके लोगों को सतर्क रहने का आग्रह करके हम लोग गए थे पर ग्रामीण हमारी वन विभाग की बातों को हल्के में लेकर अनदेखा करते हैं और हाथी के बहुत नजदीक चले जाते हैं किस कारण यह घटना हो रही है राजेंद्र कुमार जो वनरक्षक बरकट्ठा से हैं उनका कहना है कि हाथी दिन से ज्यादा रात में सक्रिय रहते हैं और लोगों से अनुरोध किया कि हाथी से तय दूरी बनाकर रखें और उससे भयभीत रहें और स्वयं किसी भी तरह का कदम ना उठाएं जिससे जानमाल की क्षति हो वनरक्षी ने बताया कि उनके कार्यकाल में उन्होंने हाथियों का मूवमेंट पहली बार बदलते हुए देखा है उन्होंने कहा कि हाथियों का झुंड बरकट्ठा जीटी रोड जाकर फिर वापस दारू प्रखंड में दाखिल हो गया या उनके कार्यकाल का पहला अप्रत्याशित अनुभव रहा वन विभाग का कहना है जलवायु परिवर्तन से और मानसून कमजोर रहने की वजह से जंगलों के काटने से और पानी की कमी से, भोजन की कमी से हाथी रिहाई से इलाकों में आने को मजबूर हो रहे हैं. इसी बीच उनके किसी साथी के मर जाने से उनमें गुस्सा और चिड़चिड़ापन और बढ़ जाता है. उनका एक साथी जो की सरौनी में बिजली के तार से मर गया था जिसके कारण हाथी काफी आक्रोशित हैं और 12 दिन तक वह मृत्यु स्थल के आसपास के जंगलों में ही के भटकते रहेंगे. फारेस्ट विद्या भूषण केसरी ने लोगों से आग्रह किया है कि अगर हाथी आते हैं तो एक सुरक्षित स्थान पर चल जाए जैसे की छत और उनके जाने का इंतजार करें विशेष कर रात में हाथियों से दूर रहें चुंकि रात में हाथी ज्यादा सक्रिय रहते हैं और उनकी देखने की और सुनने की शक्ति बहुत ही बेहतरीन होती है हाथियों से हमेशा एक तय दूरी बना कर रखें वन विभाग का मदद लें और खुद से किसी भी तरह का हाथियों को भगाने के कदम उठाने का प्रयास न करें. अशोक रविदास का एक हंसता खेलता परिवार था. अशोक रविदास अपने पीछे दो बेटियां नेहा बड़ी बेटी एवं निशा छोटी बेटी एवं धर्मपत्नी राखी देवी को छोड़कर गए हैं. अशोक रविदास के चले जाने से उनके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है .

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