प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्थलों में पूजा या प्रार्थना के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग किसी का कानूनी अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पूजा स्थल ईश्वर की आराधना के लिए होते हैं, और लाउडस्पीकर का उपयोग तभी उचित है जब वह आसपास के निवासियों के लिए परेशानी का कारण न बने।
जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस डोनादी रमेश की डिवीजन बेंच ने पीलीभीत निवासी मुख्तियार अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता न तो मस्जिद का मुतवल्ली है और न ही उसका मालिक।
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि मई 2022 में दिए गए एक फैसले में कहा गया था कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं है। इस फैसले का हवाला देते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट के इस फैसले ने धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर के उपयोग को लेकर कानूनी दृष्टिकोण को और स्पष्ट कर दिया है।