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मुक्ताकाश में ‘स्वर

रांची। मैथिली एवं हिंदी के कवि, उपन्यासकार और आलोचक पंकज पराशर की नई कविताओं का संग्रह ‘स्वर -उजास’ का लोकार्पण मुक्ताकाश में हरमू पुल पर शुक्रवार को भव्य तरीके से किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शहर के प्रमुख साहित्यकार, कवि और साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

लोकार्पण में उपस्थित रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक प्रमोद कुमार झा ने कहा कि एक दर्जन से अधिक पुस्तकों के रचयिता और कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित पंकज पराशर फिलहाल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं और मैथिली – हिंदी के विशिष्ट कवि हैं। साहित्यकार अमरनाथ झा ने कहा कि गंभीर और भविष्योन्मुख दृष्टि संपन्न कवि की यह कृति शास्त्रीय संगीत की ऐतिहासिक परंपरा से रूबरू कराती है।

उपन्यासकार सुरेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि पंकज की कविताएं मैथिली कविता की समृद्ध परम्परा में विशिष्ट योगदान देती हैं। भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अधिकारी और कवि-चिंतक बदरीनाथ झा ने कहा कि यह संग्रह कवि की गंभीर सोच, उनकी दृष्टि और विचारसम्पन्नता को अभिव्यक्त करता है। किसुन संकल्प लोक के सचिव और साहित्यकार केदार कानन ने उपस्थित लेखकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि पंकज की कविताओं ने अँधेरे में डूबी हुई पूरी संस्कृति को एक ऊर्जस्वल प्रकाश से भर दिया है। शास्त्रीय संगीत की ऐतिहासिक परम्परा को कोमल, भावप्रवण शब्दावली में गुम्फित कर कवि ने एक कीर्तिमान रचा है।

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