Santhal Tribe Protest in Dumka: संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट हो रहा है। दुमका केंद्रीय कारा से नजमूल हवलदार की रिहाई के बाद संताल समाज में भारी आक्रोश देखा गया। इस विरोध में आदिवासी सांवता सुसार आखड़ा संताल परगना की अगुवाई में हजारों की संख्या में संताल युवाओं ने मोटरसाइकिल रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया।
आंदोलनकारियों ने कहा कि सरकार और प्रशासन की सह पर बांग्लादेशी घुसपैठिये आदिवासी समाज की जमीन और संस्कृति पर कब्जा करने की साजिश कर रहे हैं। आदिवासी सांवता सुसार आखड़ा के संताल परगना संयोजक चंद्रमोहन हांसदा ने स्पष्ट किया कि संताल समाज अब चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा, “हमने अपने ईष्ट देवता मारांग बुरू के दिए तीर-धनुष को फिर से उठा लिया है और अब एक-एक घुसपैठिए को संताल परगना से खदेड़ा जाएगा।”
गैर-आदिवासियों से विवाह पर भी होगा बड़ा फैसला
संयोजक चंद्रमोहन हांसदा ने बताया कि जल्द ही झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा के संताल आदिवासियों का राष्ट्रीय महासम्मेलन बुलाया जाएगा। इसमें गैर-आदिवासियों से विवाह करने वाले आदिवासियों के भविष्य पर निर्णय लिया जाएगा। साथ ही, आदिवासी आरक्षित सीटों से पंचायत समिति, जिला परिषद, एमएलए और एमपी चुनाव लड़ने वालों पर भी अहम फैसला लिया जाएगा।
रैली से पहले संताल रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा-अर्चना
प्रदर्शन से पहले दुमका के आउटडोर स्टेडियम में संताल समुदाय के लोगों ने परंपरागत रूप से जाहेर डार एवं महुआ डार गाड़कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद संताल समाज के युवाओं ने बाइक जुलूस निकाला, जो डीसी चौक, तिलका मांझी चौक, टीन बाजार चौक होते हुए सिदो-कान्हू पोखरा चौक पर समाप्त हुआ।
बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ संकल्प
सिदो कान्हू पोखरा चौक पर आदिवासी नेताओं ने सिदो-कान्हू मुर्मू की प्रतिमा की पूजा की और संकल्प लिया कि वे अपने क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों को पैर नहीं जमाने देंगे। इस विरोध प्रदर्शन में संताल समुदाय के कई प्रमुख नेता और विभिन्न जिलों—जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, देवघर और दुमका से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।