
रांची। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को अतिरिक्त फंड नहीं देने पर राज्य सरकार अभी भी कायम है । सरकार का कहना है कि इस यूनिवर्सिटी को अब अनुदान नहीं दिया जा सकता । यूनिवर्सिटी स्व-पोषित है और इसे अपना खर्च खुद वहन करना होगा । सरकार ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर गुरुवार को फिर यह बात दोहरायी । इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और इस शपथपत्र को असंतोषजनक माना । चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सरकार को नौ सितंबर तक नया शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया ।
हठधर्मिता पर उतर आई है राज्य सरकार- हाइकोर्ट
अदालत ने कहा कि सरकार ने पहले भी कहा है कि वह यूनिवर्सिटी को अतिरक्त फंड नहीं देगी, लेकिन कोर्ट ने इसे पहले ही खारिज कर दिया है । बार-बार सरकार यही बात कह रही है । इससे प्रतीत होता है कि सरकार इस मामले में हठधर्मिता दिखा रही है । दूसरे राज्यों में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को नियमित फंड दिया जाता है । इस कारण झारखंड सरकार को भी इस महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए नियमित फंड देना चाहिए ।
104 करोड़ दे चुके हैं, अब और नहीं- राज्य सरकार
सरकार की ओर से बताया गया कि यूनिवर्सिटी खोलते समय ही यह तय हुआ था कि सरकार इसे एक बार 50 करोड़ का अनुदान देगी । इसके बाद सरकार आर्थिक मदद नहीं करेगी । यूनिवर्सिटी को अपना खर्च खुद वहन करेगा । सरकार ने बताया कि 50 करोड़ देने के बाद फिर युनिवर्सिटी को 54 करोड़ दिया गया । जिससे यूनिवर्सिटी ने अपने खर्च और बकाए की भरपायी की ।अब सरकार के कैबिनेट ने यह निर्णय लिया है, अब अतिरिक्त राशि नहीं दी जाएगी ।
9 सितंबर का तक मांगा जवाब
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी और कहा कि इस यूनिवर्सिटी में झारखंड के लिए 50 सीटें आरक्षित हैं । ऐसे में सरकार को फंड देना चाहिए । कैबिनेट के निर्णय की जानकारी पहले भी शपथपत्र के माध्यम से दी गयी थी, जिसे कोर्ट ने पहले ही मंजूर नहीं किया है । दोबार वही बातें दोहरायी गयी है. अदालत ने सरकार को नौ सितंबर तक नया शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया ।

