
विधानसभा के मॉनसून सत्र में भाजपा का जो आचरण है वो पूरी तरह से स्क्रिप्टेड था। उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए इस राज्य को सांप्रदायिक आग में झोंकने की नाकाम कोशिश की गई। 3 तारीख को विधानसभा में शोक प्रस्ताव के दौरान जो राजनीतिक उदंडता हुई, उसी से समझ में आ गया था कि इस राज्य में क्या नरेटिव सेट करने की कोशिश हो रही है। ये बातें झामुमो के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही।
झारखण्ड को सांप्रदायिकता के आग में झोंकना चाहती है भाजपा
उन्होने कहा कि विधानसभा के अंदर सांप्रदायिक नारे लगाए गये, सांप्रदायिक आचरण किए गये, कर्मकांड किए गये, वहां पर झाल-ढोल-मंजीरे बजाए गये। जिनका धर्म से कोई मतलब नहीं वो भी धर्म की बातें करते दिखे। कुल मिलाकर इस राज्य को सांप्रदायिक आग में झोंकने की कोशिश की गई. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जो सांप्रदायिक दंगे हुए उसकी पटकथा भी इसी प्रकार छ माह पूर्व लिखी गई थी। वहां भी अजान के नाम पर इसी तरह बारूद के ढेर में चिंगारी दिखाई गई। इसी प्रकार झारखण्ड में भी उसी तरह दंगा भड़काने की तैयारी थी।
इस पूरे घटनाक्रम में जिनका रोल सबसे ज्यादा आक्रमक नजर आया उनका क्षेत्र यूपी से सटा हुआ है। ये सबकुछ यूपी चुनाव को देखते हुए किया गया। मैं सलाम करना चाहता हूं हमारी पार्टी के विधायक सरफराज अहमद का, जिन्होने पूरी ताकत के साथ कहा कि जहां विवाद होगा, वहां हम नमाज नहीं पढ़ेंगे। विधानसबा के सबसे वरीष्ठ सदस्य स्टीफन मरांडी के नेतृत्व में सर्वदलीय कमेटी का गठन किया।
बिहार में भी नमाज रूम का विरोध करे भाजपा
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा को बिहार में भी विधानसभा के अंदर नमाज रूम का विरोध करना चाहिए। क्योंकि भाजपा वहां न सिर्फ सरकार में पार्टनर है बल्कि वो सबसे बड़ी पार्टी भी है । उन्होने कहा कि एक के बाद एक भाजपा का अभेद्य किला ढेर होता जा रहा है। उनका वाइब्रेंट गुजरात, देवभूमि उत्तराखण्ड में भाजपा को वहां के लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. एक-एक कर मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे लिए जा रहे हैं।
आंदोलन करने वाले साथ में एंबुलेंस लेकर नहीं चलते
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आपने गौर किया होगा कि भाजपा के मार्च के पीछे-पीछे दो एंबुलेंस चल रहे थे. कोई आंदोलन करने जाता है तो क्या साथ में एंबुलेंस लेकर चलता है क्या ? दरअसल उनकी पूरी प्लानिंग थी कि पुलिस के साथ उलझना है । मारपीट करनी है पुलिस के साथ। एक नेता तो ऐसे हैं जो बादज में पहुंचते हैं और भाषण भी देते हैं, शायद भाजपा के लोगों ने ही उनका हाथ मरोड़ दिया गया हो। दूसरे नेता तो बैरिकेडिंग पर चढ़कर वीरता दिखा रहे थे ? ये नौटंकी अब बंद होनी चाहिए।
पत्रकारों ने सुप्रियो भट्टाचार्य से सवाल किया कि अगर विधानसभा कमेटी बनाने की घोषणा पहले ही दिन हो जाती तो बाकी का सत्र शांति से चलता। इसपर उन्होने कहा कि बाबूलाल सदन मेें झूठ नहीं बोलते तो ये बवाल होता ही नहीं। उन्होने कहा कि अगर प्रथम मुख्यमंत्री सदन के अंदर झूठ बोले तो इससे ज्याद बेशर्मी हो सकती है क्या ?

