पुणे: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें महाराष्ट्र के पांच पर्यटक शामिल थे। इस हमले में पुणे के संतोष जगदाले और कौस्तुभ गनबोटे की मौत हो गई। संतोष जगदाले की बेटी असावरी जगदाले ने ETV भारत से बात करते हुए इस भयावह अनुभव को साझा किया।
“हम पांच लोग थे — मैं, मेरे माता-पिता, मेरे पिता के दोस्त कौस्तुभ गनबोटे और उनकी पत्नी। हम जम्मू-कश्मीर घूमने आए थे और पहलगाम के बैसारण वैली, जिसे ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ भी कहा जाता है, में टहलने गए थे। हम बिल्कुल आम पर्यटकों की तरह घूम रहे थे, तस्वीरें खींच रहे थे,” असावरी ने बताया।
“अचानक पहाड़ियों से गोलियों की आवाज़ आई। जब हमने वहां के स्थानीय लोगों से पूछा, तो उन्होंने कहा, ‘शेर आता है तो ऐसी फायरिंग होती है…’ हमें यह सब नया लग रहा था। लेकिन कुछ देर बाद फायरिंग तेज़ हो गई, और हम डर के मारे भागने लगे। कुछ लोग भागे, कुछ छिप गए। हम पास के टेंट्स में छिपने की कोशिश कर रहे थे।”
“तभी आतंकी आए और सभी को घुटनों के बल बैठा दिया। उन्होंने कहा, ‘अज़ान पढ़ो।’ उन्होंने औरों पर गोली चलाई, फिर मेरे पिता के पास आए और वही बात दोहराई। मेरे पिता ने कहा, ‘आप वैसे ही बोलो जैसे हम बोलते हैं।’ इस पर वे नाराज़ हो गए और उन्हें तीन गोलियां मार दीं,” असावरी ने बताया।
“फिर उन्होंने कौस्तुभ अंकल को उठाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं उठे तो उन्हें भी गोली मार दी। वहां मौजूद पुरुषों को टारगेट किया गया। इसके बाद हम जैसे-तैसे भाग निकले। कुछ समय बाद सेना के जवान आए और जो लोग छिपे हुए थे, उन्हें बचाया और आर्मी कैंप में ले गए। उसी रात हमें बताया गया कि मेरे पापा और अंकल की मौत हो गई है।”
गुरुवार को दोनों के शव पुणे लाए गए और वैकुंठ श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार किया गया।
असावरी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी टूर ग्रुप का हिस्सा नहीं थे। “हमने खुद ही यात्रा की योजना बनाई थी, एक एजेंट के जरिए टिकट बुक किए थे। उसी एजेंट ने हमारे लिए ड्राइवर की व्यवस्था की थी, जो पहले दिन से पुणे लौटने तक हमारे साथ था। आज भी उसने फोन कर हमारी खैरियत पूछी।”