
झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक-2021 विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संशोधित विधेयक को विधानसभा के सामने रखा, जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पारित किया। इस विधेयक को लाने के पीछे सरकार ने यह तर्क दिया कि नगर निकाय प्रशासनिक दृष्टिकोण से तृतीय स्तर की सरकार होती है, जिसमें स्थानीय प्रतिनिधित्व आवश्यक है।
राजनैतिक दलगत आधार पर निर्वाचन के प्रविधान से बड़ी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों की आपसी प्रतिस्पर्धा से सामान्य नागरिकों की राजनैतिक आकांक्षाओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है तथा इनका प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है। अब इस विधेयक के पारित होने से झारखंड नगरपालिका में दलगत नहीं, स्थानीय व सामान्य नागरिकों का प्रतिनिधित्व होगा। सदन ने इस तर्क को सही माना और सर्वसम्मति से यह विधेयक पारित हो गया। अब विधेयक पर राज्यपाल की स्वीकृति के बाद विधि विभाग गजट का नोटिफिकेशन करेगा।
महापौर को इस स्थिति में हटा सकेगी सरकार
यदि राज्य सरकार के मत में महापौर या अध्यक्ष परिषद् की लगातार तीन से अधिक बैठकों में बिना पर्याप्त कारण के अनुपस्थित रहेंगे, जान-बूझकर इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों एवं कर्तव्यों को करने या इंकार करेंगे, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कदाचार का दोषी पाए जाएंगे, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में शारीरिक या मानसिक तौर पर अक्षम होंगे, किसी आपराधिक मामले का अभियुक्त होने चलते छह माह से अधिक अवधि तक फरार होंगे तो राज्य सरकार महापौर या अध्यक्ष को स्पष्टीकरण के लिए समुचित अवसर प्रदान करने के बाद उन्हें हटाने का आदेश दे सकेगी। इस प्रकार हटाया गया महापौर या अध्यक्ष शेष पदावधि के दौरान महापौर या अध्यक्ष के रूप में फिर से निर्वाचन का पात्र नहीं होगा।

