मुंबई: एक दिन पहले मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास एक लोकल ट्रेन से गिरकर चार लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद सेंट्रल रेलवे ने तुरंत एक बड़ा फैसला लिया है — फास्ट लोकल ट्रेनों की गति अब मुंब्रा के उस खतरनाक मोड़ पर कम कर दी गई है, जहां हादसा हुआ था।
ETV भारत ने सोमवार को इस घटना पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें यात्री संघों ने आरोप लगाया था कि फास्ट ट्रेनों की गति उस मोड़ पर धीमी नहीं की जाती, जिससे हादसे होते हैं।
अब कितना धीमा चलेगी ट्रेन?
सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी स्वप्निल नीला ने जानकारी दी कि जहां पहले फास्ट ट्रेनें 40-45 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती थीं, वहीं अब उन्हें 35 किमी/घंटा की रफ्तार पर मोड़ से गुजरने के निर्देश दिए गए हैं।
स्लो ट्रेनों की रफ्तार पहले से ही 35 किमी/घंटा थी।
🛠️ रेलवे की त्वरित कार्रवाई
हादसे के बाद सेंट्रल रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों और इंजीनियरों की टीम ने मौके का दौरा किया और दो ट्रेनों के बीच की दूरी का मापन भी किया।
रेलवे मंत्रालय ने अब फैसला लिया है कि मुंबई की नॉन-AC लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगाए जाएंगे ताकि ऐसे हादसों को रोका जा सके।
कब तक लगेंगे ऑटोमैटिक दरवाजे?
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक:
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नई डिज़ाइन की ट्रेनें नवंबर 2025 तक तैयार होंगी।
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जनवरी 2026 से ट्रायल के बाद उन्हें चालू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री फडणवीस का बयान
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हादसे को गंभीर बताया और कहा कि:
“सरकार समझती है कि अगर दरवाजे लगाए जाएंगे तो वेंटिलेशन की व्यवस्था भी होनी चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि:
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AC लोकल ट्रेनों को बिना किराया बढ़ाए देने पर विचार किया जा रहा है।
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उन्होंने यह स्पष्ट किया कि रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव संवेदनहीन नहीं हैं — दोनों ने हादसे के दिन 45 मिनट फोन पर चर्चा की।
फडणवीस ने बताया कि सरकारी दफ्तरों में लचीलापन (flexi timing) लागू किया गया है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में यह लागू करना कठिन है।