Friday 31st of October 2025 02:17:42 AM
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“गाजा में सैन्य कार्रवाई और बच्चों की मौतें: क्या इज़राइल का नया अभियान जायज़ है?

इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में अपनी नई सैन्य कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा है कि “इज़राइल के पास हमास को पूरी तरह हराने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।” उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी योजना पर चर्चा की और उनके “अटूट समर्थन” के लिए आभार जताया।

हालांकि, गाजा में इस हमले से होने वाली मानवीय त्रासदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तक 100 से अधिक बच्चे कुपोषण और भूख से अपनी जान गंवा चुके हैं। हजारों नागरिक बेघर हैं और खाद्य संकट चरम पर है।

नेतन्याहू ने कहा कि उनका मकसद गाजा पर कब्जा करना नहीं बल्कि उसे “मुक्त” करना है, और उन्होंने हमास के “हजारों हथियारबंद आतंकवादियों” को निशाना बनाने की बात कही। उन्होंने यह भी दावा किया कि गाजा में “कोई भूख नहीं है, केवल कुछ असुविधाएं हैं” और “भूख का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं” है।

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन इस दावे से सहमत नहीं हैं। यूएन के एक अधिकारी ने स्थिति को “भूखमरी” बताया है और कहा है कि गाजा में मानवाधिकार की स्थिति “भयावह” है। कई इलाकों में खाद्य सामग्री पहुंचाने वाले लोगों पर गोलीबारी की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे हज़ारों लोग मदद लेने से वंचित रह गए।

इज़रायल की इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। कई देशों ने “सामूहिक दंड” और नागरिकों पर हमलों को अस्वीकार्य बताया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई, जहाँ अमेरिका ने इज़राइल के पक्ष में अपनी ताकतवर भूमिका निभाई।


आलोचना और प्रश्न:

  • क्या एक सैन्य अभियान जिसमें आम नागरिक, विशेषकर बच्चे, भूख से मर रहे हों, वास्तव में वैध और नैतिक हो सकता है?

  • क्या हमास को निशाना बनाना अन्यायपूर्ण रूप से सैकड़ों हजारों निर्दोष लोगों की कीमत पर न्यायसंगत है?

  • क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस हृदयविदारक मानवीय संकट को रोकने के लिए और प्रभावी कदम उठाने चाहिए?

  • क्या “सुरक्षा” के नाम पर इतनी व्यापक तबाही और मानवीय अधिकारों का हनन स्वीकार्य है?


निष्कर्ष:

गाजा में जारी हिंसा में निर्दोष बच्चों और आम नागरिकों की जानें जा रही हैं, जो एक गहरे मानवतावादी संकट की तरफ इशारा करता है। हर तरफ बढ़ती मृत्युदर और मानवीय आपदा को देखते हुए यह आवश्यक है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय युद्ध के समाधान के लिए संवाद, शांति और सहायता को प्राथमिकता दे।

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