झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड के तीन नये मेडिकल कॉलेजों में नामांकन के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के मानकों के अनुरूप व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि समय से मानक पूरे नहीं किये गये, तो पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी झारखंड के मेडिकल के छात्रों को नुकसान सहना पड़ेगा। यह छात्रों के भविष्य के साथ राज्य की छवि को भी खराब करेगा।
उन्होंने लिखा कि जैसा कि आप जानते हैं वर्ष 2014 के पूर्व झारखंड में तीन मेडिकल कॉलेज कार्यरत थे। 2014 से 2019 के बीच राज्य में पांच नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गयी। इससे राज्य में 300 एमबीबीएस की सीटें बढ़ने का रास्ता साफ हुआ। लेकिन 2019 में आपकी सरकार आने के बाद से इस क्षेत्र में काम की गति मंद पड़ गयी। इस कारण झारखंड के होनहार छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। या तो छात्र अच्छे नंबर लाकर भी नामांकन से वंचित हो जा रहे हैं या दूसरे राज्यों में जाकर मेडिकल की पढ़ाई करनी पड़ रही है।
रघुवर दास ने लिखा है कि आने वाले सत्र में डाल्टनगंज, दुमका और हजारीबाग के तीन नए मेडिकल कॉलेजों में मेधावी छात्रों के प्रवेश को लेकर इस सरकार को बिलकुल भी चिंता नहीं है। चर्चा यह है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग दिल्ली फिर से इन तीन नए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति नहीं देगा। मेडिकल कॉलेज अपनी कमियों का हवाला दे रहे हैं। यदि प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई तो यह सैकड़ों छात्रों को चिकित्सा में उनके करियर से वंचित कर देगा। ऐसा होने पर इन तीन नए मेडिकल कॉलेजों में एक-एक सौ (कुल तीन सौ) छात्र प्रवेश से बाहर हो जाएंगे।
क्या यह सरकार बता सकती है कि इन तीन नए मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी क्यों खाली हैं? मुझे पता है कि डाल्टनगंज के पोखराहा में मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज संकायों की भारी कमी का सामना कर रहा है। मुझे बताया गया है कि इस सरकार ने इस कॉलेज से चार फैकल्टी सदस्यों का तबादला सर्जरी, ऑर्थो, गायनिक और पैथोलॉजी विभाग से किया है, लेकिन आज तक यहां कोई प्रतिस्थापन नहीं भेजा गया है। क्यों? स्वास्थ्य विभाग में स्थानांतरण एक बहुत ही आकर्षक व्यवसाय है। मैं कहता हूं कि यह इस सरकार में एक उद्योग है।