लातेहार में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में बीएसएफ के डिप्टी कमांडर राजेश कुमार शहीद हो गये। उन्हें गोली लगी थी, हेलिकॉप्टर से रांची भेजा गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी । इस तरह लाल आतंक के खूनी दरिंदो ने एक हंसमुख, जिंदादिल और होनहार अफसर की जान ले ली ।
मुंगेर के रहने वाले थे शहीद राजेश
साथी बताते हैं कि राजेश हंसमुख और जिंदादिल इंसान थे । उन्हे हमेशा खुद से ज्यादा दूसरों की परवाह रहती थी । शायद ही उनके मुंह से कोई ऐसी बात निकलती होगी, जिससे दूसरों को तकलीफ पहुंचे।
मुंगेर के लाल दरवाजा इलाके के रहने वाले लोग बताते हैं कि जब भी वे घर आते, सबसे मिलना नहीं भूलते थे। हर एक जानपहचान वालों के घर जाकर उनका हालचाल लेते, हंसी मजाक करते । आज वो निश्चल, मासूम हंसी हमेशा के लिए खामोश हो गई ।रांची से लेकर मुंगेर तक उनके घर में मातम पसरा है, सिर्फ़ रोने और सिसकियां की आवाज़ आती है । मुंगेर में पूरा मोहल्ला उनके बड़े भाई राकेश को ढाढस बंधाने पहुंचा है।
परिवार में कौन-कौन?
राजेश पांच भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। शहीद राजेश कुमार के पिता लाल बहादुर राय रांची में ही एजी डिपार्टमेंट से सेवानिवृत्त होकर बस गए। पैतृक घर मुंगेर काफी कम आते हैं। घर पर बड़े भाई राकेश, पत्नी और बच्चे के साथ रहते थे। छोटे भाई रजनीश भी लातेहार में आइबी विभाग में हैं पोस्टेड हैं।
मुंगेर में ही बरियारपुर इलाके में ससुराल भी था
लाल दरवाजा स्थित पूरा मुहल्ला स्तबध है। किसी को विश्वास नहीं हो रहा है कि सभी को हंसने और हंसाने वाला उनका राजेश अब इस दुनिया में नहीं रहा। पैतृक आवास पर सन्नाटा पसरा है, घर के सदस्य और साथियों के चेहरे पर गम और मायूसी दिख रही थी। सभी ने आंसू बह रहे हैं। मुंगेर के लाल शहीद कमांडेंट का ससुराल बरियारपुर है। आसपास के लोग लाल दरवाजा स्थित पैतृक घर पहुंचकर राजेश के बड़े भाई राकेश कुमार और भाभी को ढांढस बंधाया। मुंगेर विधायक प्रणव कुमार यादव भी आवास पहुंचे और सभी को सांत्वना दी।