
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा भगवान् राम को काल्पनिक बताने, दलितों से मंदिरों का बायकाट करने की अपील पर बीजेपी ने कटाक्ष किया है। बिहार भाजपा के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि जीतनराम के नाम में ही “राम” लगा हुआ है। अब इस उम्र में अगर उन्हें राम नाम से वितृष्णा होने लगी है तो समझ जाइए कि उनका ध्यान किस वोट बैंक पर है ।
राम को गाली देने से दलितों-मुसलमानों के वोट नहीं मिलते- भाजपा
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि जीतनराम मांझी जैसे लोग दरअसल दलितों, पिछड़े और मुसलमानों को बेवकूफ समझते हैं। उनको लगता है कि सवर्णों को या हिंदू देवी-देवताओं को अपशब्द कहने से उनको दलित-पिछड़े और मुसलमानों का वोट मिल जाएगा। जीतनराम मांझी जैसे नेताओं को लगता है कि दलितों और मुसलमानों को विकास से मतलब नहीं है। जीतनराम मांझी जैसे लोग भूल जाते हैं कि जब विकास होता है, समाज में शांति होती है तो इसका सबसे अधिक फायदा कमजोर वर्गों को ही होता है ।
बहुसंख्यकों की भावनाओं का माखौल उड़ाना ही कुछ लोगों का सेक्यूलरिज्म
राजीव रंजन ने जीतन राम मांझी पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए पूछा है कि बताएं इस्लाम, सिख, बौद्ध व इसाई आदि धर्मों में वर्णित महापुरुषों को वह सत्य मानते हैं या काल्पनिक? एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं का सेक्युलरिज्म बहुत ही विशेष होता है। उनका सेक्युलरिज्म सनातन धर्म, उसके प्रतीकों और आराध्यों के मजाक उड़ाने से शुरू और बहुसंख्यकों की भावनाओं पर ठोकर मार कर समाप्त हो जाता है।