उज्ज्वल दुनिया, हजारीबाग। अध्यात्म योगी परम तपस्वी आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के संघस्थ शिष्य श्रमण मुनि श्री 108 सुयश सागर जी एवं मुनि श्री 108 सदभाव सागर जी महाराज का हजारीबाग नगर से जशपुर के लिए बुधवार को मंगल विहार हो गया।
इससे पहले प्रात: दोनों जैन मंदिरों में मुनि श्री के सानिध्य में अभिषेक शांतिधारा पूजा पाठ का कार्यक्रम हुआ।
बॉडम बाजार दिगंबर जैन मंदिर में मुनि श्री ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि दूसरों का दोष देखने से द्वेष उत्पन्न होता है।
दोष देखने से दोष दिखाई देता है, गुण देखने से गुण, जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि।
भाव विशुद्ध होने चाहिए,परिणाम स्वयं अच्छा हो जाएगा, वस्तु जैसी है, वैसी ही देखो। आज तक हमने दूसरे के दोषों की देखा, परंतु अपने दोष को नहीं देखते हैं।
दोष से दोष नहीं कटते, मैल से मैल नहीं कटते। शास्त्र और शस्त्र में सिर्फ एक मात्रा का अंतर है, लेकिन परिणाम अलग-अलग है।
मंगलाचरण विजय लुहाड़िया और दिलीप अजमेरा एवं संचालन सुबोध सेठी ने किया।
वहीं जशपुर, कोडरमा, गया, चतरा और रामगढ़ से आए धर्म प्रेमी बंधु का स्वागत समाज के पदाधिकारियों ने किया।
मीडिया प्रभारी विजय लुहाड़िया ने बताया कि दोपहर 3:30 बजे मुनि श्री सभी को मंगल आशीर्वाद देकर जशपुर के लिए विहार कर गए। मुनि श्री का रात्रि विश्राम हत्यारी स्कूल में होगा।