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Jharkhand: मधुपुर उपचुनाव को लेकर NDA में अंदरूनी कलह

NDA के टिकट के लिए दो प्रत्याशियों के बीच घमासान

झारखंड के मधुपुर में 17 अप्रैल को मतदान होना है, लेकिन NDA अभी तक अपने प्रत्याशी पर फैसला नहीं ले सकी है। भाजपा उम्मीदवार का टिकट क्लियर नहीं होना मतदाताओं में है उहा पोह की स्थिति है

हर हाल में चुनाव लड़ूंगा-गंगा नारायण सिंह

देवघर । मधुपुर उपचुनाव के तिथि की घोषणा होते ही सभी दलों के नेताओं ने रेस पकड़ लिया है मधुपुर बाजार के हर चौक चौराहों में राजनीतिक गतिविधियां और सरगर्मियां दोनों तेज हो गयी हैं ।हर चाय की दुकान पर जीत हार की चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है वैसे झारखंड मुक्ति मोर्चा और महागठबंधन के प्रत्याशी की घोषणा तय मानी जा रही है।

गंगा नारायण सिंह चुनाव लड़ने पर अडिग
गंगा नारायण सिंह चुनाव लड़ने पर अडिग

वहीं भाजपा के टिकट की घोषणा नहीं होने से कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में अभी भी उहा पोह की स्थिति बनी हुई है।बहरहाल जेएमएम,और गंगा नारायण सिंह का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है । बतौर गंगा नारायण सिंह वे हर अवस्था मे चुनाव लड़ेंगे और इसके लिए विते कई वर्षों से लगातार क्षेत्र की जनता से जनसम्पर्क करने औऱ उनके दुख सुख में लगातार शामिल भी हो रहे हैं।

RJD के कार्यकर्ता भी गंगा नारायण सिंह के समर्थन में 

सूत्रों की मानें तो एक राष्ट्रीय दल के कई कार्यकर्ता लगातार इनके सम्पर्क में है और चुनाव में मदद करने के लिए आतुर भी दिख रहे हैं। वैसे चुनाव की तिथि 17 अप्रैल को निर्धारित किया गया है।   कुल मिलाकर घोषणा के बाद समय का कम होना भी प्रत्यासियों को रेस पकड़ाने के लिए काफ़ी है। बहरहाल मधुपुर विधानसभा की जनता ने अपना मन बना लिया होगा कि इस दफ़ा मधुपुर की बाग डोर किनके हाथों में देनी है ।

निशिकांत दूबे के भरोसे टिकट पाने के चक्कर में हैं राज पालीवाल 

पूर्व विधायक राज पालीवाल गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे के जरिए टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।  इसके अलावा पूर्व सीएम रघुवर दास से भी उनके अच्छे संबंध हैं। राज पालीवाल के समर्थकों का दावा है कि रघुवर दास की सरकार में श्रम मंत्री रहने के दौरान राज पालीवाल ने क्षेत्र में बहुत काम करवाए हैं।  इसके अलावा धनबल में भी वे हाजी हुसैन अंसारी के बेटे को भी कड़ी टक्कर दे सकते हैं।

कहीं फिर न हो जाए  NDA वोटों का बंटवारा? 

वहीं मधुपुर डालमिया कूप के निकट चर्चा करते लोगों की माने तो बाबू अभी बहुत खेल बाकी है इस बार मतदाता बहुत चुप चुप हैं किसी के विषय मे कुछ नहीं कह रहे हैं। पर सुदूर ग्रामीण वासियों ने तो मन बना लिया है इस दफा कोई नया चेहरा दिखेगा। बहरहाल जीत हार का निर्णय वर्तमान में भविष्य के गर्भ में समाहित है और चुनाव के रिजल्ट के बाद आगामी 2 मई को ही यह धुंध छटेगी।

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