अपने तमाम भड़काऊ बयानों, उग्र हिंदुत्व विचारधार और दबंगई के बावजूद गिरिराज सिंह पीएम मोदी के भरोसेमंद बने हुए हैं…2014 से लगातार मंत्री रहे बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह को एक बार फिर प्रमोशन मिला है। मत्स्य एवं पशुपालन विभाग जैसे छोटे मंत्रालय से निकालकर मोदीजी ने उन्हें सीधे ग्रामीण विकास विभाग जैसे भारी भरकम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है। सात सालों में गिरिराज सिंह सबसे पहले सूक्ष्म उद्योग, फिर मत्स्य एवं पशुपालन विभाग और अब ग्रामीण विकास विभाग…मतलब प्रमोशन का सिलसिला बरकरार है….
ललन सिंह नहीं बल्कि मोदी की पसंद गिरिराज सिंह…आखिर क्यों ?
अगर सिर्फ भूमिहार समाज को प्रतिनिधित्व देने की बात होती तो ललन सिंह भी इसी समाज से हैं…नीतीश कुमार ने ललन सिंह के लिए खूब जोर भी लगाया…खुद दिल्ली गये, पीएम से बात की…लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी टीम में ललन सिंह को न रखकर एक साथ दो संदेश दिए हैं…पहला, वे नीतीश के दबाव में नहीं हैं और दूसरा भूमिहार समाज से अगर कोई टीम मोदी का हिस्सा बनेगा तो वे गिरिराज सिंह रहेंगे….
सुशील मोदी को मंत्री न बनाना भी संदेश
बिहार भाजपा में सबको पता है कि गिरिराज सिंह और सुशील मोदी में नहीं बनती…वजह सुशील मोदी भाजपा से ज्यादा नीतीश कुमार के आदमी हैं…अगर सुशील मोदी को केन्द्रीय कैबिनेट में जगह मिलती तो इसे जेडीयू कोटे से माना जाना चाहिए था….दूसरा सुशील मोदी ने उप-मुख्यमंत्री रहते बिहार भाजपा में किसी दूसरे नेतृत्व को पनपने नहीं दिया…उन्होने एन-केन प्रकारेण उभरते युवा नेताओं के पर कतरने को ही राजनीति समझी….वैचारिक रुप से भी सुशील मोदी भाजपाई कम और समाजवादी ज्यादा लगते हैं… ऐसे में बिहार से टीम मोदी ने भाजपा कोटे से उन्हें ही जगह दी है जो संघ के लाइनलेंथ पर चलते हैं, न की अपनी मर्जी से….