बेंगलुरु:
बेंगलुरु में 17 जून (सोमवार) से बाइक टैक्सी सेवाएं बंद हैं और फिलहाल उनके फिर से शुरू होने की संभावना कम दिख रही है, क्योंकि कर्नाटक सरकार ने इन सेवाओं पर प्रतिबंध के फैसले को लेकर सख्त रुख अपनाया है।
कर्नाटक के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बताया कि बाइक और स्कूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए हैं, और उन्हें यातायात सेवाओं के रूप में इस्तेमाल करना अवैध है, क्योंकि यह वाहन पंजीकरण नियमों का उल्लंघन है। साथ ही, इससे ऑटो चालकों की आजीविका पर असर पड़ता है।
“बाइक और स्कूटर किसके लिए होते हैं? व्यक्तिगत उपयोग के लिए, है ना? बेंगलुरु में 1.7 लाख से अधिक ऑटो रिक्शा और 6,500 सार्वजनिक परिवहन बसें हैं। अगर बाइक टैक्सी को अनुमति मिलती है तो इसका सीधा असर इन वैध लाइसेंसधारी ऑटो चालकों पर पड़ेगा।” — रामलिंगा रेड्डी
⚖️ हाईकोर्ट में मामला और कानूनी स्थिति:
कर्नाटक हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरिश कुमार) ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि जब तक राज्य सरकार मोटर व्हीकल अधिनियम की धारा 93 के तहत दिशा-निर्देश जारी नहीं करती, बाइक टैक्सी सेवाएं वैध नहीं मानी जा सकतीं।
सिंगल बेंच ने 2 अप्रैल 2025 को आदेश देते हुए 6 हफ्तों की मोहलत दी थी, जिसे 15 जून तक बढ़ा दिया गया था।
बाइक टैक्सी कंपनियों — उबर इंडिया, ओला (ANI टेक्नोलॉजीज), और रैपिडो (Roppen) — ने 2024 में कोर्ट से मोटरसाइकिलों को परिवहन वाहनों के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति मांगी थी। अगली सुनवाई 24 जून 2025 को होगी।
🚨 ‘पार्सल सेवा’ के बहाने और पुलिस की सख्ती:
कुछ कंपनियों ने प्रतिबंध को दरकिनार करने के लिए ‘बाइक पार्सल’ और ‘कोरियर सेवा’ के नाम पर सवारी ले जाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 130 से अधिक बाइक जब्त कर लीं।
📢 नम्मा बाइक टैक्सी एसोसिएशन की गुहार:
नम्मा बाइक टैक्सी एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।
“बेंगलुरु में 25,000 से अधिक परिवारों की आजीविका बाइक टैक्सी पर निर्भर है। यह सेवा विद्यार्थियों, बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के लिए आय का जरिया है। इस पर प्रतिबंध उनके जीविकोपार्जन के अधिकार को छीन रहा है।” — मोहम्मद सलीम, अध्यक्ष, नम्मा बाइक टैक्सी एसोसिएशन
“दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे शहरों में जब बाइक टैक्सी की अनुमति है, तो बेंगलुरु में क्यों नहीं?” — मोहम्मद सलीम
📣 बाइक टैक्सी चालकों की व्यथा:
संजय, नागमंगल से एक कानून के छात्र जो कॉलेज के बाद बाइक टैक्सी चलाते हैं, ने कहा:
“मैं फरवरी से बाइक टैक्सी चला रहा था और ₹10,000-12,000 तक कमा लेता था, जिससे मेरी पढ़ाई और खर्च निकल जाता था। अब सब ठप हो गया।”
👥 यात्रियों का पक्ष:
योगेश, एक अकाउंटेंट ने कहा:
“संजयनगर से एमजी रोड तक ऑटो या टैक्सी ₹140-210 लेते हैं, जबकि बाइक टैक्सी ₹90-100 में पहुंचा देती है। वो भी ट्रैफिक से आसानी से बचकर। सरकार को निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए।”
📚 शहर परिवहन विशेषज्ञ की सलाह:
डॉ एम.एन. श्रीहरि, शहरी परिवहन विशेषज्ञ ने कहा:
“बाइक टैक्सी सेवाएं लास्ट माइल कनेक्टिविटी में मदद कर सकती हैं। सरकार को एक अध्ययन कराकर इस पर स्पष्ट नीति बनानी चाहिए और अगर जरूरी हो तो सुरक्षा और नियमों के साथ अनुमति दी जानी चाहिए।”