झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को पुलिस ने मंगलवार, 11 मार्च को पलामू जिले में एनकाउंटर में मार गिराया। घटना उस समय हुई जब उसे रायपुर से रांची ले जाया जा रहा था। पुलिस की गाड़ी चैनपुर इलाके में पलट गई, जिसका फायदा उठाकर अमन साहू ने पुलिस का हथियार छीन लिया और भागने की कोशिश की। पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में अमन को कई गोलियां लगीं और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस मुठभेड़ में एक पुलिस जवान भी घायल हुआ है।
अमन साहू का आपराधिक इतिहास
अमन साहू झारखंड में सबसे कुख्यात गैंगस्टर में से एक था। उस पर रंगदारी, हत्या और जबरन वसूली के 100 से अधिक मामले दर्ज थे। पहले वह नक्सली संगठन का सदस्य था, लेकिन 2013 में उसने अपना गैंग बना लिया। हाल ही में उसका नाम एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या में भी सामने आया था। इसके अलावा, वह गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का करीबी सहयोगी भी माना जाता था।
पुलिस की कार्रवाई
झारखंड पुलिस ने पिछले कुछ वर्षों में अमन साहू के गिरोह के खिलाफ कई ऑपरेशन चलाए। उसके कई साथियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसका गिरोह अब भी सक्रिय था और अवैध उगाही, हत्या और अन्य आपराधिक गतिविधियों में लिप्त था।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
अमन साहू के एनकाउंटर के बाद झारखंड में राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है।
- बीजेपी ने इस एनकाउंटर को ‘सुनियोजित हत्या’ करार दिया और आरोप लगाया कि यह सरकार की राजनीतिक चाल थी। पार्टी ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि अपराधियों के एनकाउंटर से अपराध खत्म नहीं होंगे।
- झारखंड सरकार ने पुलिस का समर्थन करते हुए कहा कि अमन साहू एक खतरनाक अपराधी था, जो जेल से भी अपनी गैंग चला रहा था। सरकार ने कहा कि राज्य में शांति स्थापित करने के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी।
निष्कर्ष
अमन साहू की मौत से झारखंड में अपराध की दुनिया में हलचल मच गई है। पुलिस ने इसे सफल ऑपरेशन बताया है, लेकिन राजनीतिक दलों ने इसे लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि झारखंड पुलिस इस कार्रवाई के बाद अपराध पर कितना नियंत्रण रख पाती है।