Tuesday 1st of July 2025 05:09:31 AM
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झारखण्डः रात को घर से उठाती पुलिस और कानून का राज !

पिछले दो महीने में झारखण्ड में ऐसे दो हाइप्रोफाइल वाकये हुए हैं, जहां पुलिस पर आरोपी को आधी रात में घर से उठाने के आरोप लगे, लेकिन बाद में उसे गिरफ्तारी कहीं और का दिखाया गया । गनिमत है कि अभी ये दोनों मामलों पर न्यायपालिका मौन है….

क्या सचमुच सत्ता के इशारे पर गैर-कानूनी तरीके अख्तियार कर रही है पुलिस ?
क्या सचमुच सत्ता के इशारे पर गैर-कानूनी तरीके अख्तियार कर रही है पुलिस ?

कथित सरकार गिराने के आरोपी को बोकारो से उठाकर आधी रात को रांची लाया गया- जीजा

पहला मामला कथित तौर पर सरकार गिराने को लेकर था….सरकार गिराने के आरोपी निवारण महतो के जीजा सोनू महतो ने आरोप लगाया कि रांची के कोतवाली थाने की पुलिस जिस दिन होटल पर रेड बता कर गिरफ्तारी दिखा रही है, उसके दो दिन पहले ही बोकारो पुलिस निवारण को अपने साथ ले गई । बोकारो पुलिस ने कहा था कि लोहा चोरी से संबंधित मामले में पूछताछ करनी है। थोड़ी देर बाद उसे छोड़ दिया जाएगा । सोनू महतो ने बताया कि जब निवारण काफी देर बाद भी घर वापस नहीं आए तो वे लोग स्थानीय थाना पहुंचे। वहां से थाने की पुलिस ने उन्हें जानकारी दी कि निवारण को रांची ले जाया गया है। सोनू को थाने से ही यह जानकारी भी मिली कि रांची के कोतवाली थाने की पुलिस एक स्कॉर्पियो से उन्हें रातोंरात रांची लेकर गई है ।

सुनील तिवारी पर आरोप लगाने वाली युवती को देर रात अनगड़ा से पकड़कर रांची लाया गया- बाबूलाल

दूसरा मामला हालिया है, जहां बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि पुलिस देर रात अनगड़ा के गांव से एक युवती और उसके परिवार को उठाती है…रात करीब डेढ़ से दो बजे तक पुलिस युवकी और उसके परिवार को थाने में रखकर तरह-तरह से प्रताड़ित करती है। बाबूलाल का आरोप है कि पुलिस उस युवती पर दबाव डालकर अपने मनमाफिक एफआईआर लिखावाती है, फिर उस लड़की को बाल कल्याण आश्रम में छोड़ आती है…अभी तक किसी को उस युवती से मिलने की इजाजत नहीं है ।

संथाल में भी पुलिस पर लगे आरोप

संथाल में एक पुलिस अधिकारी हैं पी के मिश्रा…आरोप है कि वे सीएम के विधानसभा प्रभारी पंंकज मिश्रा के खास आदमी हैं। आरोप तो ये भी है कि जिस किसी ने वहां सरकार के खिलाफ कोई बयान दिया या सबूत जुटाए तो आधी रात को ही उसे उठा लिया जाता है । एक गांव में देर रात छापेमारी करने गये पुलिस और उसके जांबाज अधिकारी पीके मिश्रा पर गांव वालों ने हमला भी किया था. गांव वालों का आरोप था कि ये छापा नहीं था बल्कि पुलिस की टीम किसी और ही कारण से आधी रात को गांव पहुंची थी ।

मानवाधिकार, न्यायपालिका सब ठेंगे पर

चाहे शराब माफिया हों, बालू माफिया हों, पत्थर माफिया हों …सबने पुलिस को शायद मैनेज कर रखा है…तभी तो हर दिन पूरे झारखण्ड में हजारों की संख्या में रात-रात भर ट्रकें दौड़ती रहती हैं, लेकिन मजाल है कि कोई उन्हे पकड़ ले…दो दिन पहले ही आरोप लगा कि एक बड़े शराब माफिया ने बड़ा खेल करते हुए पूरे झारखण्ड में शराब का धंधा अपने हाथों में ले लिया है ( दो जिलों को छोड़कर)। लेकिन आरोपों को परवाह कौन करता है…

 

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