झारखंड के सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक स्तर से ही जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई शुरू होगी। वैसे स्कूल, जहां किसी एक जनजातीय या क्षेत्रीय भाषा पढ़ने वाले 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे होंगे, वहां संबंधित भाषा की पढ़ाई होगी। जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई संबंधित मातृभाषा में ही होगी।
राज्य सरकार की स्थानीयता नीति और नियोजन नीति को देखते हुए इसे अनिवार्य रूप से स्कूलों में लागू करने की तैयारी है। प्रारंभिक स्कूलों में ही इसे लागू किया जाएगा, ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं शुरू से ही अपने जनजातीय और क्षेत्रीय विषय के बारे में जान सकें।
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों नहीं रहने वाले आदिवासी और अन्य लोग सही तरीके से हिंदी नहीं जान पाते हैं। ऐसे में जो उनकी जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाएं होंगी उसी मातृभाषा में उन्हें पढ़ाया जाएगा। विभाग के अनुसार जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं में हो, मुंडारी, खड़िया, कुड़ुख, संताली, नागपुरी, पंचपरगनिया, कुरमाली और खोरठा की पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है।