
नई दिल्ली । झारखंड कांग्रेस के सभी विधायक दिल्ली में थे । राहुल गांधी ने उनके साथ मुलाकात की ।हर विधायक से अलग-अलग बात भी की । इस बैठक में झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, प्रभारी अविनाश पांडेय और सह- प्रभारी उमर सिंघर भी मौजूद थे । आधिकारिक रूप से कहा गया कि राहुल गांधी ने संगठन, सदस्यता अभियान और कांग्रेस के घोषणापत्र पर कितना अमल हुआ, इसपर बात की ।
विपक्ष के संपर्क में रहने वाले विधायकों पर नजर- सूत्र
कांग्रेस सूत्रों की माने तो इस बैठक के एजेंडे में सबसे ऊपर था विधायकों के सम्मान का मुद्दा । जब अविनाश पांडेय ने रांची का दौरा किया था तो कई विधायकों ने शिकायत की थी कि इस सरकार में कांग्रेस के विधायकों को वैसा सम्मान नही मिल रहा, जितना झामुमो के विधायकों को । विधायकों ने यह भी शिकायत की थी कि राज्य सरकार की ब्यूरोक्रैसी कांग्रेसी विधायकों को सम्मान नहीअं देती । इसके बाद प्रभारी अविनाश पांडेय की पहल पर राहुल गांधी ने विधायकों के साथ बैठक के लिए समय दिया ।

आरपीएन सिंह के पाला बदल के बाद अहम बैठक
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए आरपीएन सिंह झारखण्ड कांग्रेस के प्रभारी भी थे । महागठबंधन सरकार के गठन में उनकी अहम भूमिका थी । आरपीएन सिंह को पता है कि कांग्रेस के कौन-कौन से विधायक मंत्री बनना चाहते थे और कौन नही बन सके । इसके अलावा जिन विधायकों को टिकट दिलवाने में आरपीएन सिंह का अहम योगदान रहा, उनके बारे में भी आरपीएन सिंह को पता है । इन सब के अलावा किसी महिला विधायक को गठबंधन सरकार में भूमिका नही मिलना भी बैठक के एजेंडे में रहा ।
आने वाले वक्त में दिखेगा असर
सूत्रों की माने तो कांग्रेस का मकसद सिर्फ भाजपा को सत्ता से दूर रखना ही नही है, बल्कि वे सत्ता में खुद की बराबर साझेदारी भी चाहती है । इन्ही सब बातों को लेकर कॉर्डिनेशन कमेटी बनाने की चर्चा हुई। इसके अलावा ओबीसी आरक्षण को लेकर भी कांग्रेस अपने सहयोगी झामुमो से दो टूक बात करने के मूड में है । कांग्रेस का ऐसा मानना है कि ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण दिलवाकर वे इस बिरादरी में अपनी पैठ बढा सकते हैं।
भाषा विवाद का हल चाहती है कांग्रेस
झारखंड में भाषा विवाद को लेकर भी कांग्रेस झामुमो से खुश नही है । पार्टी चाहती है कि इस मुद्दे का शीघ्र पटाक्षेप हो । इसके अलावा ये भी चर्चा हुई कि झामुमो एक रणनीति के तहत कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोटबैंक में सेंधमारी कर रही है । मॉब लिंचिंग विधेयक के बाद जिस तरह झामुमो ने क्रेडिट लिया उससे भी कांग्रेस में चिंता है । ईसाई समुदाय से कांग्रेस कोटे का मंत्री बनाना भी पार्टी के एजेंडे में शामिल है ।
