
झारखंड विधानसभा शुरु होते ही आज अजीब नजारा दिखा। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के विधायक गले में राम नाम की चादर लटकाए, हाथों में ढोल-झाल लेकर, विधानसबा के मुख्य द्वार पर भजन-किर्तन करने लगे। वे बम-बम भोले और जय श्रीराम के नारे लगाने लगे। जैसे-जैसे मीडिया के कैमरों की भीड़ बढ़ती जा रही थी, भाजपा विधायकों का उत्साह बढ़ रहा था। उनकी करतल ध्वनी से पूरा विधानसभा गूंज उठा।
दरअसल, झारखंड विधानसभा के नए भवन में मुस्लिम समुदाय के लिए नमाज कक्ष के आवंटन किए जाने के बाद भाजपा चाहती है कि विधानसभा भवन में प्रार्थना और पूजा-पाठ के लिए एक मंदिर का भी निर्माण हो। इतना ही नहीं, पार्टी के आदिवासी नेता कहते हैं कि सरना स्थल के लिए भी हमें जगह दी जाय । इन्ही सब मांगों को लेकर भाजपा के विधायक ढोल, झाल और मंजीरा लेकर विधानसभा की गेट पर बैठ गये। रामनामी चादर ओढ़े भाजपा विधायक भगवान भोलेनाथ और जय श्रीराम के नारे पर कीर्तन करने लगें
विधायकों ने ‘रघुपति राघव राजा राम’ भी गाया
शुरुआत में हर-हर महादेव के जय घोष और जय श्रीराम के नारे के बाद भाजपा विधायकों ने महात्मा गांधी का प्रिय भजन “रघुपति राघव राजा राम” भी गाया । इस बारे में पूछे जाने पर भाजपा विधायक अमर बाउरी ने कहा कि विधानसभा संविधान के अनुसार चलने वाला लोकतंत्र का मंदिर है। इस भवन के अंदर भी धार्मिक आधार पर आरक्षण बाबा साहब के सपनों का अपमान है, जिसे देश के करोड़ों दलित सहन नहीं करेंगे ।
हम नमाज के लिए जगह के विरोधी नहीं, पर मेहरबानी सिर्फ एक खास वर्ग पर ही क्यों ?
भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि झामुमो और कांग्रेस के लोग इस बात को इस तरह प्रचारित कर रहे हैं मानो हम नमाज पढ़ने के खिलाफ हैं । लेकिन हमारा स्टैंड बिल्कुल साफ है. जब जगह दें तो फिर हर धर्म और संप्रदाय के लिए दें वरना किसी के लिए न दें। अगर सरकार नमाज के लिए कमरा देती है तो फिर मंदिर और सरना के लिए भी जगह अलॉट करे। गुरुद्वारे और सरना धर्म को मानने वालों के लिए भी जगह दे. लेकिन अगर सिर्फ एक को मिलेगा और दूसरे को नहीं, तब विरोध तो होगा ही।
धार्मिक तुष्टीकरण बर्दाश्त नहीं करेंगे- मनीष जायसवाल
हजारीबाग से भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि जिस दिन से हेमंत सरकार सत्ता में आई है वो जानबूझकर सिर्फ वोटबैंक के लिए राज्य का माहौल बिगाड़ रही है। कभी मुख्यमंत्री कहते हैं कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं, कभी नक्सलियों के समर्थक फादर स्टेन की तुलना महापुरुषों से करते हैं तो कभी मिशनरियों के समर्थक बन जाते हैं। हद तो तब हो गई जब कुत्सित प्रयास के तहत लोकतंत्र के मंदिर को भी उन्होने नहीं छोड़ा। संवैधानिक जगह के एक हिस्से को नमाज के लिए आरक्षित कर दिया। क्या हम सब चुप रहकर इस अन्याय को बर्दाश्त करते रहे। मनीष जायसवाल ने कहा कि भाजपा नहीं बल्कि झामुमो-कांग्रेस के लोग राज्य को सांप्रदायिक और क्षेत्रवाद के आधार पर बांटना चाहते हैं।