बिहार को वैसे ही राजनीति की नर्सरी नहीं कहा जाता । चाणक्य से लेकर नीतीश तक, राजनीति के ऐसे-ऐसे दांव-पेंच हैं कि बाहर का इंसान सचमुच चकरघिन्नी खा जाय । फिलहाल हम बात कर रहे हैं जनता दल यूनाइटेड के अंदर चल रहे पॉलिटिक्स की। नीतीश कुमार ने पहले ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा को ये यकीन दिलाया कि आरसीपी सिंह ने उन्हें अंधेरे में रख कन्द्रीय मंत्री का पद हथिया लिया। आप दोनों को भी उनका ईलाज करना है। ललन बाबू अपनी धोती का खूंटा बांध ही रहे थे कि पता चला कि ये तो नालंदा को दो कुर्मियों की आपसी समझ थी और उनको बुड़बक बनाया गया।
ललन सिंह जेडीयू की बैठकों में शामिल नहीं हुए
रविवार को जेडीयू की महत्वपूर्ण बैठक से ललन सिंह दूर-दूर ही रहे । बिहार सरकार के मंत्री विजेन्द्र यादव भी इन बैठकों से दूर रहे । बेचारे उपेन्द्र कुशवाहा सुबह से ही बकरी के बच्चे की तरह उत्साह से चौकड़ी भर रहे थे कि शायद उन्हे जेडीयू संगठन की कमान दे दी जाय, लेकिन शाम होते-होते नीतीश की ओर से कहा गया कि आरसीपी सिंह केन्द्रीय मंत्री और संगठन दोनों की जिम्मेदारी संभालने में सक्षम हैं। कुशवाहा के दिल के अरमां तो वहीं खड़े-खड़े बह गये….
जेडीयू में सिर्फ कुर्मी, बाकी सब अतिथि
ललन सिंह उस खेल को समझ गये हैं जो पार्टी के अंदर खेला जा रहा है, लिहाजा बैठक में शामिल नहीं होकर उन्होंने अपनी नाराजगी जतायी है । दरअसल रविवार को नीतीश कुमार ने जेडीयू के नये नियुक्ति हुए प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक बुलायी थी । खुद नीतीश कुमार इस बैठक में वर्चुअल तरीके से जुड़े थे । दिल्ली से आऱसीपी सिंह भी जुड़े थे । बैठक में जेडीयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह को भी रहना था लेकिन वे नहीं गये ।
पूरे खेल को सिलसिलेवार ढंग से समझिए
इसी महीने 7 जुलाई को जब दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो आरसीपी सिंह मंत्री बन गये । ललन सिंह खुद मंत्री बनने के दावेदार थे । ललन सिंह उस समय भी नाराज हुए थे लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें कई दफे समझाया था । नीतीश कुमार ने ललन सिंह को बताया कि आरसीपी सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से बीजेपी से बात की और खुद अपना नाम तय कर लिया । ललन सिंह को बताया गया कि आऱसीपी सिंह ने मंत्रिमंडल में शामिल होने के संबंध में एक दफे भी नीतीश कुमार से बात नहीं की ।
नीतीश-आरसीपी की चाल समझ गये ललन सिंह
जानकारों के मुताबिक कई दशकों से नीतीश कुमार के साथ रहे ललन सिंह उनकी हर चाल को समझते हैं । जो बातें अब सामने आ रही हैं उससे ये लग रहा है कि आरसीपी सिंह को मंत्री बनाने में नीतीश कुमार की सहमति थी लेकिन अपनी जाति औऱ अपने जिले के आऱसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री बनाने से नीतीश की सियासी जमीन प्रभावित होती । लिहाजा ऐसा माहौल तैयार किया गया जिससे ये लगे कि आरसीपी सिंह नीतीश की मर्जी के बगैर मंत्री बन गये । कहीं न कहीं ललन सिंह को ये माजरा समझ में आने लगा है । दरअसल ललन सिंह चाह रहे थे कि अगर आरसीपी सिंह बिना नीतीश कुमार की मर्जी से मंत्री बन गये हैं तो नीतीश कुमार कार्रवाई करें । अगर कार्रवाई करने में कोई परेशानी हो तो कम से कम सार्वजनिक तौर पर ऐसा बयान दें जिससे लगे कि आरसीपी सिंह को मंत्री बनाने में उनका रोल नहीं था । लेकिन नीतीश कुमार ने ना तो ऐसा बयान दिया औऱ ना ही आऱसीपी सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई की । उधर आरसीपी सिंह दिल्ली में रहकर भी बिहार में जेडीयू के संगठन से जुड़े हर मामले को डील कर रहे हैं । वे लगातार पार्टी की बैठक भी करवा रहे हैं । आऱसीपी सिंह द्वारा पार्टी के फैसले भी लिये जा रहे हैं. इससे भी दूसरा ही मैसेज जा रहा है ।