Home National जम्मू-कश्मीर में रोज़ाना 1500 टन कचरा, लेकिन जाता कहाँ है

जम्मू-कश्मीर में रोज़ाना 1500 टन कचरा, लेकिन जाता कहाँ है

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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में दो नगर निगमों और 76 नगरपालिकाओं द्वारा प्रतिदिन 1502 टन ठोस कचरा उत्पन्न किया जाता है, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से निपटान की कमी के कारण शहरों और कस्बों में कूड़े के ढेर लगते जा रहे हैं।

नगर निकायों के कचरा प्रबंधन की स्थिति
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, श्रीनगर नगर निगम (SMC) प्रतिदिन 525 टन और जम्मू नगर निगम (JMC) 374 टन कचरा उत्पन्न करता है। अन्य 76 नगरपालिकाओं द्वारा कुल 603 टन कचरा प्रतिदिन उत्पन्न किया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि इस कचरे का सही प्रबंधन हो भी रहा है या नहीं?

खुले में डंपिंग और पर्यावरणीय खतरे
पर्यावरण कार्यकर्ता राजा मुज़फ्फर भट के अनुसार, यह सारा कचरा खुले लैंडफिल में डंप किया जा रहा है, जिससे न केवल मिट्टी प्रदूषित हो रही है बल्कि स्थानीय निवासियों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है।

“किसी भी नगरपालिका द्वारा कचरे का वैज्ञानिक उपचार नहीं किया जा रहा। नगर पालिकाएँ और नगर निगम इसे खुले में फेंक रहे हैं, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है,” भट ने बताया।

भारत के ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, कचरे को उसके स्रोत पर ही अलग किया जाना चाहिए। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी कचरे की उचित छंटाई को पर्यावरण के लिए अनिवार्य बताया।

सरकारी प्रयास और अधूरे प्रोजेक्ट्स
श्रीनगर के अचन डंपिंग साइट पर प्रतिदिन 550 टन कचरा जमा होता है। सरकार ने यहाँ वेस्ट-टू-एनर्जी प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह अब तक शुरू नहीं हो सका।

कश्मीर के शहरी स्थानीय निकाय निदेशक काज़ी सरवर के अनुसार, “कश्मीर के दस नगर निकायों में ठोस कचरा प्रबंधन इकाइयाँ स्थापित की जा चुकी हैं, जबकि बाकी स्थानों पर कार्य प्रगति पर है। आठ नगरपालिकाओं में भूमि की अनुपलब्धता के कारण यह कार्य अटका हुआ है।”

क्या समाधान हो सकता है?
पर्यावरण विशेषज्ञ ताहिर वानी का कहना है कि सरकार को कचरे को केवल निपटाने की चीज़ समझने के बजाय उसे पुनः उपयोग और ऊर्जा स्रोत में बदलने पर ध्यान देना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर सरकार ने 2025-2026 के बजट में 78 शहरी स्थानीय निकायों में कचरा प्रबंधन केंद्रों की स्थापना और 4,075 ठोस कचरा प्रबंधन इकाइयों के निर्माण का वादा किया है। लेकिन क्या ये योजनाएँ धरातल पर उतरेंगी या कचरे के साथ यह वादा भी किसी लैंडफिल में दब जाएगा?

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