देइर अल-बलाह:
रविवार को एक कट्टरपंथी इस्राइली मंत्री इतामर बेन-गवीर ने यरूशलेम के सबसे संवेदनशील धार्मिक स्थल का दौरा किया और प्रार्थना की, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया। इस यात्रा के कुछ ही समय बाद ग़ज़ा के अस्पतालों ने बताया कि इस्राइली गोलाबारी में 33 फ़िलिस्तीनी, जो भोजन सहायता प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे, मारे गए।
बेन-गवीर का यह दौरा उस समय हुआ जब इस्राइल पर ग़ज़ा में “अकाल जैसी” स्थिति पैदा करने के आरोप लगे हैं। उन्होंने उस पवित्र पहाड़ी क्षेत्र का दौरा किया, जिसे यहूदी “टेम्पल माउंट” और मुसलमान “हरम अल-शरीफ़” या “अल-अक़्सा परिसर” के नाम से जानते हैं। यहाँ अल-अक़्सा मस्जिद स्थित है, जो इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है।
इस स्थल पर इस्राइली अधिकारियों का दौरा मुस्लिम दुनिया में एक भड़काऊ कदम माना जाता है। इस्राइली प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया कि इस दौरे के बावजूद स्थलों के प्रबंधन की यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
यह दौरा हमास द्वारा दो दुबले-पतले इस्राइली बंधकों के वीडियो जारी करने के बाद हुआ। इन वीडियो ने इस्राइली समाज में आक्रोश पैदा कर दिया है और सरकार पर शेष 50 बंधकों की रिहाई के लिए दबाव बढ़ा दिया है।
बेन-गवीर ने ग़ज़ा पट्टी को इस्राइल में मिलाने और फ़िलिस्तीनियों को बाहर निकालने की मांग की, जिससे संघर्षविराम वार्ताएं और जटिल हो गई हैं। हमास के साथ किसी भी समझौते के विरोधियों का कहना है कि यह वीडियो उनके इस मत को और मजबूत करता है कि हमास को पूरी तरह से नष्ट करना होगा।
ग़ज़ा में सहायता वितरण केंद्रों पर भारी भीड़ के कारण अराजकता फैली हुई है। गवाही देने वालों ने बताया कि सहायता पाने की कोशिश में कई लोगों पर गोलियां चलाई गईं। ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कुपोषण के कारण पिछले 24 घंटों में छह वयस्कों की मौत हो गई है, और अब तक 93 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि मई से जुलाई के बीच ग़ज़ा में सहायता वितरण स्थलों के पास 859 लोग मारे गए हैं। इस्राइली सेना का कहना है कि उन्होंने केवल चेतावनी देने के लिए गोली चलाई। वहीं GHF (ग़ज़ा ह्यूमैनिटेरियन फ़ाउंडेशन) का दावा है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए केवल मिर्च स्प्रे या चेतावनी फायर का प्रयोग किया गया।
इस्राइल ने पिछले सप्ताह खाद्य आपूर्ति बढ़ाने के प्रयास किए हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र और राहत संगठनों का कहना है कि जमीनी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है।

