भारत बनाम न्यूज़ीलैंड चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल से पहले एक अहम सवाल उठा है—क्या पूरे टूर्नामेंट में भारत का सिर्फ दुबई में खेलना उसे अनुचित लाभ देता है? इस पर पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने खुलकर राय दी है। लेकिन क्या यह तर्क वाकई सही है या यह सिर्फ एक धारणा है?
गांगुली का तर्क—कोई अनुचित लाभ नहीं!
गांगुली का मानना है कि भारत को दुबई में खेलने से कोई विशेष फायदा नहीं मिला है। उनका कहना है कि भारतीय टीम सरकार के फैसले के कारण पाकिस्तान में नहीं खेल पाई, और यह बीसीसीआई या टीम इंडिया की इच्छा से नहीं हुआ। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भारतीय बल्लेबाज़ पाकिस्तान की सपाट पिचों पर खेलने का अनुभव गंवा रहे हैं, जहां अन्य टीमें 350+ स्कोर आसानी से बना रही हैं।
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यहां कोई अनुचित लाभ है। भारत की बैटिंग मजबूत है, हमारे पास अच्छे स्पिनर हैं, लेकिन न्यूज़ीलैंड भी कमज़ोर नहीं है।”
तो क्या सच में कोई फायदा नहीं हुआ?
हालांकि गांगुली का तर्क सही हो सकता है, लेकिन कुछ क्रिकेट विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि—
✅ भारत को पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ एक ही वेन्यू पर खेलने का फायदा मिला।
✅ खिलाड़ियों को अलग-अलग परिस्थितियों में ढलने की ज़रूरत नहीं पड़ी।
✅ भारतीय टीम के पास दुबई की पिच और परिस्थितियों को बेहतर समझने का अवसर मिला, जबकि अन्य टीमें पाकिस्तान और दुबई के बीच यात्रा कर रही थीं।
✅ भारत ने अपनी टीम संयोजन को दुबई की परिस्थितियों के हिसाब से तैयार किया, जिसमें अतिरिक्त स्पिनर्स शामिल किए गए।
भारत बनाम न्यूज़ीलैंड—क्या कहता है हेड-टू-हेड रिकॉर्ड?
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच आईसीसी टूर्नामेंट्स में कड़ा मुकाबला देखने को मिला है।
➡️ 2000 की चैंपियंस ट्रॉफी (ICC Knockout) फाइनल में न्यूज़ीलैंड ने भारत को हराया था।
➡️ 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भी न्यूज़ीलैंड ने भारत को मात दी थी।
➡️ हालाँकि, हालिया मुकाबलों में भारत न्यूज़ीलैंड पर हावी रहा है और ग्रुप स्टेज में पहले ही उन्हें हराया है।
निष्कर्ष—क्या भारत को लाभ मिला या नहीं?
यह कहना मुश्किल है कि भारत को ‘अनुचित लाभ’ मिला, लेकिन यह ज़रूर कहा जा सकता है कि दुबई की परिस्थितियाँ भारत के पक्ष में ज़रूर रही हैं। न्यूज़ीलैंड ने भी इस पिच पर भारत के खिलाफ मैच खेला है, इसलिए वे भी परिस्थितियों से परिचित हैं।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या न्यूज़ीलैंड 2000 के इतिहास को दोहरा पाएगा या फिर भारत इस बार चैंपियंस ट्रॉफी की ट्रॉफी उठाएगा!