हैदराबाद: हर साल 20 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Day of Happiness) मनाया जाता है। यह दिन खुशी, करुणा और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को दर्शाने के लिए समर्पित है। यह केवल उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इस बात की भी याद दिलाता है कि खुशी एक शक्तिशाली भावना है, जो हमें एकजुट करती है।
खुशी का मतलब क्या है?
खुशी को परिभाषित करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसे दो प्रमुख पहलुओं में देखा जाता है:
- वर्तमान क्षण की भावनाएं (जैसे खुशी, उल्लास)
- जीवन के प्रति संतुष्टि (लंबी अवधि में स्थायी सुखद अनुभव)
प्राचीन यूनानी दर्शन में “यूडेमोनिया” (Eudaimonia) को वास्तविक खुशी माना जाता था, जहां इसे केवल क्षणिक आनंद नहीं बल्कि नैतिकता, उत्कृष्टता और समाज में योगदान से जुड़ा हुआ माना जाता था। इसी तरह, विभिन्न संस्कृतियों में खुशी को सामूहिक उपलब्धि के रूप में देखा गया है, जबकि आधुनिक पश्चिमी समाजों में इसे व्यक्तिगत मानसिक स्वास्थ्य और भलाई से जोड़ा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने 2012 में 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में घोषित किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि खुशी और भलाई, सतत विकास और वैश्विक शांति के लिए आवश्यक हैं।
- यह दिवस पहली बार 2013 में मनाया गया था।
- भूटान पहला देश था जिसने राष्ट्रीय संपत्ति से अधिक राष्ट्रीय खुशी (Gross National Happiness – GNH) को महत्व देने की पहल की थी।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 66वें सत्र के दौरान भूटान ने “हैप्पीनेस एंड वेल-बीइंग: ए न्यू इकोनॉमिक पैराडाइम” विषय पर उच्च स्तरीय बैठक की मेजबानी की थी।
2025 का थीम: “Caring and Sharing”
इस वर्ष का थीम लोगों को दयालुता और आपसी सहयोग के महत्व पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है।
महत्व
- यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें वास्तव में क्या खुश करता है – परिवार, दोस्त, कार्यस्थल, या समुदाय।
- यह हमें **आभार प्रकट करने, दूसरों की मदद करने