नई दिल्ली: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के ग्लेशियर सम्मेलन में पाकिस्तान पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि लगातार हो रही सीमा पार आतंकवाद की घटनाएं सिंधु जल संधि के कार्यान्वयन में हस्तक्षेप के समान हैं। पर्यावरण राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह ने शुक्रवार को ताजिकिस्तान के दुशांबे में हुए पहले यूएन ग्लेशियर सम्मेलन में यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान के इस मंच के दुरुपयोग और ऐसे मुद्दों को उठाने की निंदा करते हैं, जो इस मंच के दायरे में नहीं आते। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान, जो स्वयं संधि का उल्लंघन कर रहा है, भारत पर आरोप लगा रहा है।”
सिंह ने कहा कि 1960 में हुई संधि के बाद परिस्थितियों में मौलिक परिवर्तन हुए हैं—जैसे तकनीकी विकास, जनसंख्या वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और सीमा पार आतंकवाद—जिसके चलते संधि की शर्तों की दोबारा समीक्षा आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की ओर से निरंतर आतंकवादी गतिविधियां इस संधि की भावना के विरुद्ध हैं, जो आपसी सद्भाव और मित्रता पर आधारित थी। भारत संधि का सम्मान करता है, लेकिन आतंकवाद इस पर अमल करने की क्षमता को प्रभावित करता है।”
सिंह की यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा कि भारत सिंधु जल संधि को निलंबित कर ‘रेड लाइन’ पार कर रहा है।
भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदमों की घोषणा की थी, जिनमें संधि को अस्थायी रूप से निलंबित करना भी शामिल था।
इसके अलावा, भारत ने सम्मेलन के दौरान ग्लेशियर संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। सिंह ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना जल सुरक्षा, जैव विविधता और अरबों लोगों की आजीविका के लिए खतरा बनता जा रहा है।
उन्होंने बताया कि भारत ‘राष्ट्रीय हिमालय पारिस्थितिकी तंत्र मिशन’ और ‘क्रायोस्फीयर एवं जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र’ जैसी पहलों के माध्यम से ग्लेशियर मॉनिटरिंग और जलवायु अनुकूलन पर काम कर रहा है।
सम्मेलन में 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष’ और 2025–2034 को ‘क्रायोस्फेरिक विज्ञान की कार्रवाई की दशक’ घोषित करने का स्वागत करते हुए, मंत्री ने विकासशील देशों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।