ब्रसेल्स: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि हालिया भारत-पाकिस्तान टकराव सिर्फ दो पड़ोसी देशों का सीमा विवाद नहीं था, बल्कि यह आतंकवाद से लड़ाई थी — और यह वही आतंकवाद है जो एक दिन पश्चिमी देशों को भी प्रभावित करेगा।
यूरोपीय न्यूज वेबसाइट Euractiv को दिए इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा,
“मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि ओसामा बिन लादेन जैसे व्यक्ति को पाकिस्तान की सैन्य छावनी में सालों तक सुरक्षित शरण कैसे मिली?”
जयशंकर ऑपरेशन सिंदूर के एक महीने बाद यूरोप की यात्रा पर हैं, जो कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर प्रिसिजन स्ट्राइक की।
“यह सिर्फ भारत-पाक का मुद्दा नहीं है। यह आतंकवाद का मुद्दा है। और यही आतंकवाद एक दिन आप सभी को भी सताएगा,” उन्होंने कहा।
💬 अंतरराष्ट्रीय मीडिया पर निशाना:
जयशंकर ने पश्चिमी मीडिया पर भी निशाना साधा, जिसने ऑपरेशन सिंदूर को “दो परमाणु देशों की प्रतिक्रिया” के रूप में प्रस्तुत किया।
🇮🇳 भारत और रूस-यूक्रेन युद्ध पर रुख:
पश्चिमी प्रतिबंधों में भारत के शामिल न होने पर जयशंकर ने कहा:
“हम युद्ध के ज़रिए मतभेद सुलझाने में विश्वास नहीं रखते। हर देश अपनी इतिहास और हितों के अनुसार निर्णय करता है।”
उन्होंने कहा कि भारत का यूक्रेन से भी मजबूत संबंध है, सिर्फ रूस से नहीं।
पश्चिम से प्रश्न:
“हमारी सीमाएं आज़ादी के कुछ ही महीनों बाद तोड़ी गईं। तब जो देश सबसे ज़्यादा समर्थन कर रहे थे, वे वही पश्चिमी देश थे। अब जब वे अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों की बात करते हैं, तो उन्हें अपने अतीत पर भी नजर डालनी चाहिए।”
भारत-ईयू व्यापार समझौते पर जोर:
जयशंकर ने भारत-ईयू फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बल देते हुए कहा कि भारत चीन की तुलना में ज्यादा विश्वसनीय और स्किल्ड लेबर वाला पार्टनर है।
उन्होंने कहा कि कई यूरोपीय कंपनियां भारत को चुन रही हैं ताकि वे सप्लाई चेन को चीन से दूर रख सकें।
CBAM पर भारत की आपत्ति:
EU के कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) पर उन्होंने कहा:
“हमें इस पर गहरी आपत्तियां हैं। कोई एक हिस्सा दुनिया के लिए मानक तय करे — हम इसके खिलाफ हैं।”
CBAM गरीब और विकासशील देशों के लिए आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है।
🇺🇸 अमेरिका और चीन पर:
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अमेरिका से संबंध बढ़ाना भारत की रणनीति है — यह किसी एक राष्ट्रपति पर निर्भर नहीं।
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चीन को लेकर उन्होंने कहा कि कंपनियां अब सिर्फ दक्षता नहीं, सुरक्षा और विश्वसनीयता पर भी ध्यान देती हैं।
“डेटा और उत्पादन को अब सुरक्षित जगह पर रखना कंपनियों की प्राथमिकता बन गई है।”