प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी दो दिवसीय मॉरीशस यात्रा भारत के हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बढ़ते रणनीतिक प्रभाव को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। यह यात्रा भारत-मॉरीशस संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के साथ-साथ चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने, व्यापार को बढ़ावा देने और समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने पर केंद्रित होगी।
भारत और मॉरीशस ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा से पहले कहा, “मॉरीशस हमारा करीबी समुद्री पड़ोसी और हिंद महासागर में एक प्रमुख भागीदार है। हमारे गहरे आपसी विश्वास और लोकतांत्रिक मूल्यों में साझा विश्वास हमारे संबंधों की ताकत हैं।”
यात्रा के मुख्य बिंदु:
✅ राष्ट्रीय दिवस समारोह: पीएम मोदी 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
✅ समुद्री सुरक्षा: चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, भारत और मॉरीशस समुद्री रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर जोर देंगे।
✅ विकास परियोजनाएं: भारत मॉरीशस में नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की घोषणा कर सकता है, जिसमें परिवहन, ऊर्जा, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।
✅ आर्थिक सहयोग: भारत-मॉरीशस CECPA समझौते के तहत व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं।
✅ मनी लॉन्ड्रिंग पर सहयोग: भारत और मॉरीशस वित्तीय अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के लिए एक समझौता करेंगे।
भू-राजनीतिक महत्व
इस यात्रा का महत्व इस तथ्य से भी बढ़ जाता है कि चीन मॉरीशस, श्रीलंका और मालदीव में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। हाल ही में चीन ने श्रीलंका के जल क्षेत्र में अपने शोध जहाजों के संचालन पर लगे प्रतिबंध को हटवाने और मालदीव के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में मछली पकड़ने वाले उपकरण लगाने में सफलता पाई है। यह भारत के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बढ़ा सकता है।
भारत मॉरीशस को समुद्री निगरानी, रक्षा सहयोग और आपदा राहत सहायता प्रदान करता रहा है। मोदी की यह यात्रा इन संबंधों को और अधिक मजबूती देगी।