लंदन: ब्रिटेन की यात्रा के दौरान, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-यूके संबंधों की बिसात पर महत्वपूर्ण चालें चलीं, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई ऊर्जा मिली। उनकी यह यात्रा एक जटिल खेल की तरह रही, जहाँ उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक और वैश्विक कूटनीति के कई मोहरे सजाए।
जयशंकर ने अपने ब्रिटिश समकक्ष डेविड लैमी के साथ बातचीत के दौरान भारत-यूके व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) को नई दिशा दी। उन्होंने चिवनिंग हाउस में वार्ता की, जहाँ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर प्रगति, प्रौद्योगिकी सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।
एक निर्णायक कदम के रूप में, उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मुलाकात की, जिसमें व्यापार बाधाओं को कम करने और द्विपक्षीय निवेश बढ़ाने पर सहमति बनी। वहीं, उन्होंने गृह सचिव येवेट कूपर और व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स से भी चर्चा की, जिससे वीजा प्रक्रिया में सुधार और कारोबारी सुगमता के उपायों को बल मिला।
भारत की कूटनीतिक बढ़त को और मजबूत करने के लिए जयशंकर ने बेलफास्ट और मैनचेस्टर में दो नए भारतीय वाणिज्य दूतावासों का उद्घाटन किया। यह कदम भारतीय प्रवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिससे भारत-यूके संबंधों में जन-संबंधों की अहमियत और बढ़ेगी।
यात्रा के अंतिम दिन जयशंकर और लैमी ने टॉटेनहैम हॉट्स्पर स्टेडियम का दौरा किया और एक फुटबॉल मैच देखा, जो दोनों देशों के बीच दोस्ताना संबंधों की एक अनौपचारिक परिभाषा प्रस्तुत करता है।
इस यात्रा के दौरान हर कदम भारत की कूटनीतिक बढ़त को दर्शाता है, जहाँ जयशंकर ने राजनीतिक, व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए कुशलतापूर्वक अपनी चालें चलीं। यह भारत-यूके संबंधों के भविष्य की दिशा तय करने वाली एक प्रभावशाली यात्रा रही।

