Wednesday 29th of October 2025 01:23:54 PM

India

पू्र्वी लद्दाख से डिस-एंगेजमेंट को लेकर किए गए चीन के वादे पर भारत पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पा रहा है। भारत को संदेह है कि शायद ही चीन जुलाई महीने में होने वाले कम्युनिस्ट पार्टी के समारोह से पहले पूर्वी लद्दाख में डिस-एंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन के अपने वादे को पूरा करे। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिनपिंग लद्दाख, भूटान, ताइवान, साउथ चाइना सी और जापान पर माओ की 1959 की लाइन को लागू करने की अपनी स्पष्ट रणनीति से चिपके रह सकते हैं। इस साल सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल पूरे हो रहे हैं।

लद्दाख में 1,597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के वास्तविक स्थिति को बदलने के चीन के प्रयास से पैदा हुए गतिरोध के बारे में भारत सरकार के आकलन पर करीब से नजर रखने वाले लोगों ने कहा कि बीजिंग से उम्मीद थी कि वह अपने सैनिकों को लद्दाख से वापस बुला लेगा। कोरोना वायरस मामलों और उसकी वजह से आर्थिक झटका झेलने वाले शी जिनपिंग लगातार देश की जनता की आलोचना का शिकार हो रहे थे, लेकिन लद्दाख में उनकी विस्तारवादी सोच की वजह से लोगों का ध्यान भटकाने में उन्हें मदद मिली। कोरोना महामारी ने दुनियाभर में नौ करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया है और लगभग 20 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इसकी वजह से कई देश जिनपिंग पर हमला बोलते रहे हैं।

पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक होने की तमाम वजहों में से एक वजह यह भी है कि इससे वह अपने देश की जनता को लुभा सके और दक्षिणी एशियाई के छोटे देशों जैसे- नेपाल, भूटान और म्यांमार आदि पर दबाव बना सके। एक राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार ने चीन की इस हरकत पर कहा, ”लेकिन हम अपनी जमीन पर तब तक डटे रहने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, जब तक यह सबकुछ सही तरीके से खत्म नहीं हो जाता।”

यह भी पढ़ें: लद्दाख में कोई भी हिमाकत करने से पहले 100 बार सोचेगा चीन, भारत ने की पुख्ता तैयारी

मालूम हो कि भारत ने पिछले साल पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 40 हजार से ज्यादा सैनिकों को भेजा था। वहीं, कई हजारों सैनिकों की तैनाती पहले से ही सीमा पर थी। भारत ने चीन के साथ जून महीने में गलवान घाटी में हुई हिंसक घटना के बाद चीनी सेना को जवाब देने के लिए ऐसे कई कदम उठाए थे। भारत ने हमेशा से ही एलएसी पर तैनात अतिरिक्त सेनाओं के डिस-एंगेजमेंट पर सहमति जताई है, लेकिन साथ ही भारत का यह भी कहना है कि सीमा पर चीन अप्रैल के शुरुआती समय वाली यथा-स्थिति कायम करे। अब तक दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति को बने हुए नौ महीने से ज्यादा हो चुके हैं।

हालांकि, लद्दाख कोई इकलौता ऐसा गतिरोध नहीं है, जिसे चीन ने कोरोना के चलते हो रही आलोचना की वजह से शुरू किया हो, बल्कि अपने आस-पड़ोस में वह कई मुद्दों पर आमने-सामने की स्थिति में बना हुआ है। अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने के लिए फिर चाहे चीन की साउथ चाइना सी में लगातार की जा रही हरकतें हों या फिर ताइवान और हॉन्ग-कॉन्ग, जहां पर चीन अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में लगा हुआ है। वहीं, सरकार में मौजूद कई रणनीतिकारों का मानना है कि इस साल भी चीन की ओर से टेंशन बढ़ाने वाली हरकतें होती रहेंगी, क्योंकि राष्ट्रपति जिनपिंग ने जब सत्ता संभाली थी, तभी वे कम्युनिस्ट पार्टी के 2021 शताब्दी समारोह के आयोजन के लिए योजना बना चुके थे।

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