भारत और बांग्लादेश ने सीमा पार उग्रवादी समूहों के प्रति शून्य सहिष्णुता दिखाने और वास्तविक समय की जानकारी के आधार पर सामूहिक कार्रवाई करने का फैसला किया है। यह निर्णय 25 से 28 अगस्त तक ढाका स्थित बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) मुख्यालय में आयोजित चार दिवसीय महानिदेशक-स्तरीय समन्वय बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में लिया गया।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बीएसएफ (BSF) के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने किया, जबकि बांग्लादेश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मेजर जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमान सिद्दीकी, महानिदेशक, बीजीबी ने किया।
बैठक में सीमा पार अपराधों को रोकने, संयुक्त गश्त बढ़ाने, सतर्कता में वृद्धि करने, और सीमा क्षेत्र के निवासियों में जागरूकता फैलाने पर सहमति बनी। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) के भीतर लंबित विकास कार्यों के लिए उच्च अधिकारियों को संलग्न करने, सीमा नदी तट संरक्षण कार्यों को सुचारू रूप से कराने और सिंगल रो फेंस (SRF) को जल्द से जल्द स्थापित करने के लिए सहमति व्यक्त की।
बीएसएफ ने स्पष्ट किया कि SRF का कोई रक्षा-क्षमता संबंधी उद्देश्य नहीं होगा, बल्कि यह सीमा पार अपराध रोकने का एक महत्वपूर्ण उपाय होगा। दोनों पक्षों ने समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (CBMP) के महत्व पर जोर दिया ताकि मादक पदार्थों (विशेषकर याबा), अवैध हथियारों, नकली भारतीय मुद्रा (FICN), सोना आदि की तस्करी पर अंकुश लगाया जा सके।
संयुक्त बयान में कहा गया, “बीएसएफ और बीजीबी ने प्रभावी कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की ताकि सीमा पार अपराधों जैसे कि अवैध पारगमन, तस्करी, मानव तस्करी, सीमा स्तंभ उखाड़ना आदि को रोका जा सके और सीमा के निवासियों को इसके प्रति संवेदनशील बनाया जा सके।”
हालांकि, भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती बांग्लादेश की बदलती नीतियों और उसके अंदर पनप रहे हिंदू-विरोधी रुझानों से भी जुड़ी है। बांग्लादेश में बढ़ते कट्टरपंथ और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों ने भारत के सीमाई सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है। ऐसे माहौल में कई बार अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम प्रवासी भारत में घुसपैठ करते हैं, जिससे न केवल सीमा अपराध बढ़ता है बल्कि असंतुलन और दंगों जैसी स्थितियां भी उत्पन्न होती हैं।
बीएसएफ और बीजीबी के बीच यह उच्च स्तरीय वार्ता हर साल दो बार आयोजित की जाती है – एक बार भारत में और एक बार बांग्लादेश में। पिछली बैठक फरवरी 2025 में नई दिल्ली में हुई थी। अगली बैठक मार्च 2026 में नई दिल्ली में होगी।