नई दिल्ली: कांग्रेस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने विपक्षी INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी पर “नक्सलवाद को मदद” देने का आरोप लगाया। शाह ने कहा था कि जस्टिस रेड्डी ने 2011 में दिए गए सलवा जुडूम फैसले से नक्सल आतंक को बढ़ावा दिया।
कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने कहा, “गृह मंत्री का यह बयान अनुचित और अस्वीकार्य है। सरकार के पास सभी जानकारियां थीं, उन्हें उस समय उचित कदम उठाने चाहिए थे। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज और अब विपक्षी उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पर ऐसे बयान देना गलत है।”
कांग्रेस ने एक बार फिर दोहराया कि वह शुरू से ही सलवा जुडूम जैसी प्रथाओं के खिलाफ रही है। “जनजातीय युवाओं को नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में झोंकना राज्य सरकार का काम नहीं था। सलवा जुडूम के दौरान कई निर्दोष आदिवासी मारे गए,” देव ने कहा।
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नक्सलवाद का चरम कांग्रेस शासन के दौरान ही देखा गया और जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आई तो कड़े कदमों से नक्सली गतिविधियों में भारी कमी आई। भाजपा का दावा है कि अगर 2011 का फैसला न हुआ होता तो 2020 तक नक्सलवाद का सफाया हो चुका होता।
गृह मंत्री अमित शाह ने कोच्चि में एक मीडिया कार्यक्रम में कहा, “यदि सलवा जुडूम पर रोक नहीं लगाई गई होती, तो आज नक्सलवाद खत्म हो चुका होता। यह वही व्यक्ति हैं जिनकी विचारधारा ने नक्सल आतंकवाद को 10 साल और बढ़ाया।”
वहीं कांग्रेस कार्य समिति सदस्य कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर चिंतित है, इसलिए विपक्षी उम्मीदवार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
जस्टिस रेड्डी ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट का आदेश था, और उन्होंने केवल संविधान के अनुसार कार्य किया।

