वाह IMF, क्या ही वक्त पर टाईमिंग है! अभी कुछ ही दिन पहले कश्मीर में निर्दोषों पर हमला हुआ, और अब आप एक ऐसे देश को USD 1.3 अरब का ‘जलवायु लचीलापन’ पैकेज देने जा रहे हैं, जो न सिर्फ आतंकियों का पालक है, बल्कि उनका एक्सपोर्ट हब भी।
पाकिस्तान, जहाँ ‘जलवायु’ से ज़्यादा ‘जेहादी उर्वरता’ में रुचि दिखाई देती है, उसे फिर से अंतरराष्ट्रीय भिक्षा का थैला पकड़ा दिया गया है। IMF के एग्जीक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग 9 मई को होनी है – बकायदा स्टाफ लेवल एग्रीमेंट भी हो चुका है, और $1 अरब की अगली किश्त लाइन में है।
हम तो बस 9 से 5 की नौकरी करने वाले मामूली लोग हैं, लेकिन सोच रहे हैं – क्या ‘क्लाइमेट रेसिलिएंस’ का मतलब अब आतंकवाद झेलने वाले देशों की फ़ंडिंग करना हो गया है?
कश्मीर में हमला करने वाले क्या पेड़-पौधों की बात कर रहे थे? या ये सब इसलिए माफ़ किया जा रहा है क्योंकि “जलवायु परिवर्तन” अब नया ग्लोबल बहाना है? आतंकवाद को स्पॉन्सर करने के बाद भी पाकिस्तान ‘हेल्पलेस विक्टिम’ बनकर पैसा खींच रहा है – और IMF मुस्कुराते हुए चेक साइन कर रहा है।
और हां, यह वही पाकिस्तान है जिसे पहले से ही USD 7 अरब का बेलआउट पैकेज मिल चुका है, और अब नया प्लान बन रहा है, ताकि “मजबूत और समावेशी विकास” हो सके। यानी, आतंक फैलाने का नया, जलवायु-अनुकूल तरीक़ा।
क्लाइमेट रेसिलिएंस? भाई, पहले जेहादी रेसिलिएंस को तो ख़त्म करो।
IMF मिशन चीफ़ ने कहा, “प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन अच्छा चल रहा है।” हाँ, मतलब बजट से टेरर ट्रेनिंग सेंटर चलाने के लिए डाटा शीट सबमिट कर दी है।
हम सोचते हैं – क्या दुनिया इतनी थक चुकी है कि अब नीतियाँ Excel शीट और buzzwords के हिसाब से चलेंगी, चाहे कोई देश आतंक का नर्सरी बना बैठा हो?
क्या आप तैयार हैं अगली किश्त की खबर पर ताली बजाने के लिए?