
कारोबार में जुड़े माफिया हैैं मालामाल
अवैध आरा मिल संचालकों को सफेदपोश नेताओं समेत अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त हैं
गिरिडीह । सरिया अनुमंडल क्षेत्रफल में फल फूल रहा लकड़ी का अवैध कारोबार । यहां दर्जनों आरा मिल संचालित हैं। एक तरफ जहां केंद्र और झारखंड की सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाओ अभियान चलाए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ सरिया अनुमंडल क्षेत्र में अंधाधुंध हरे वृक्षों को काटने का काम बदस्तूर जारी है । नतीजतन सरकार के द्वारा चलाए जा रहे पेड़ लगाओ अभियान जैसी अति महत्वाकांक्षी योजना के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण पर ग्रहण लगता हुआ नजर आ रहा हैं।
अनुमंडल क्षेत्र के तीनों प्रखंडों में अवैध रूप से काटे जा रहे हरे पेड़ से पर्यावरण संरक्षण पर जहां बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वहीं, इस कारोबार में लगे लकड़ी माफिया मालामाल हो रहे हैं। अनुमंडल क्षेत्र के कोयरीडीह, पुरनीडीह, समेत दर्जनों गांव में इस समय हरे पेड़ों को काटकर आरा मिल एवं प्लाई मिल तक पहुंचाने का काम धड़ल्ले से किया जा रहा है। परंतु इस समय ना तो हरे पेड़ों की कटाई पर रोक लग पा रही हैं। और न ही अवैध रूप से चल रहे आरा मिल और प्लाई मिल पर कार्रवाई किया जा रहा है। नतीजतन इनके मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई बदस्तूर जारी है।
सरिया अनुमंडल क्षेत्र के तीनों प्रखंडों में इस समय दर्जनों आरा मिल अवैध रूप से चलाई जा रही हैं। चारों प्रखंडों में कुछ आरा मिल संचालक जहां सरकारी स्तर से लाइसेंस लेकर अपना मिल संचालित कर रहे हैं। तो दर्जनों जगहों पर अवैध रूप से इन आरा मिल का संचालन किया जा रहा हैं। इन आरा मिल संचालकों के द्वारा ना देहातों में भी लकड़ी मिल चलाने का काम किया जा रहा हैं।
सूत्रों की मानें तो इन अवैध आरा मिल संचालकों को सफेदपोश नेताओं एवं कुछ एक अधिकारियों का संरक्षण भी प्राप्त हैं। जिस कारण कार्रवाई नहीं किया जा रहा हैं। इनके संचालक बेधड़क लकड़ी काटने का काम कर रहे हैं।
धमदाहा क्षेत्र में सरकारी स्तर से सागवान, सीसम, गम्हार, महोगनी एवं एम-सोल के पेड़ बहुतायत मात्रा में लगाने का काम किया गया था। इसके पूर्व अनुमंडल क्षेत्र के घराड़ी बैतरणी, अमारी बैतरणी, सोनदिप वितरनी, चंद्ररही वितरनी के अलावे संझाघाट, दमेली, मुगलिया पुरंदा नहरों पर एवं प्रखंड क्षेत्र मेंं कोसी नदी के किनारे बने बांध पर शीशम के पेड़ काफी मात्रा में लगे हुए थें। लेकिन वर्तमान समय में ना तो शीशम के पेड़ कहीं बांंध या नहरों पर दिखाई दे रहे हैं और ना ही अन्य महंगे बड़े पेड़ यहां दिखते हैं।
अनुमंडल क्षेत्र में अवैध रूप से सक्रिय लकड़ी माफियाओं के द्वारा इन महंगे पेड़ों को काटकर बाहर भेजने का काम किया जा रहा

