
- समाज के प्रति समर्पण और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के प्रति मेरे विश्वास का प्रतीक हैं मेरे आंसू
रांची । मेरे आंसू पांच दिन के छोटे मानसून सत्र के कारण नही छलके है। इन आंसुओं का कारण पिछले दो वर्षों में हेमंत सोरेन की सरकार में अनुसूचित जाति समाज की हो रही अनदेखी के कारण छलकी है। भूखल घासी और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की मौत भूख से हो जाना, रघु पासी की मौत ठंढ़ से होना, राज्य भर में दलितों की जमीन का लूट होना छोटी-मोटी बात नहीं है। संथाल परगना में दलितों की जमीन पर कब्जा किसने किया है, जनता को ये जानने का अधिकार है। ये बातें भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष और चंदनकियारी विधायक अमर बाउरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही ।
समुदाय विशेष द्वारा दलितों की बहु-बेटियों को प्रताड़ित किया जा रहा है
अमर बाउरी ने कहा कि विशेष समुदाय द्वारा दलितों पर जानलेवा हमला होना, दलितों को घर से बेघर करना, दलित समाज की बेटियों के साथ दुर्व्यवहार होना आदि कई ऐसी घटना है जो मेरे आंसू के कारण बने। अमर बाउरी ने कहा कि इन सभी मुद्दों को मैंने सरकार और सदन में उठाने की कोशिश की, लेकिन न तो सरकार का और न ही सदन का संरक्षण मुझे मिला।
हेमंत सोरेन के राज में दलितों पर अत्याचार बढ़ा
अमर बाउरी ने कहा कि मैंने दलितों पर हो रहे अत्याचार, धर्मपरिवर्तन आदि को लेकर जो आवाज उठायी, उससे हेमंत सोरेन की सरकार बौखला गयी है। अमर कुमार बाउरी ने बताया कि 23 अगस्त 2021 को धनबाद जिला के एक नाबालिक लड़की के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। काफी प्रयास के बाद उनके पिता ने एफआईआर दर्ज किया और आरोपी पर पोस्को एक्ट लगाया गया। लेकिन अभी तक उक्त अपराधी की गिरफ्तारी नही हुई है और वह खुलेआम घूम रहा है। चूंकि वह एक दलित परिवार से है, इसलिए शायद अपराधी को यह लगा कि वह कोई भी हरकत कर लेंगे लेकिन एक दलित परिवार अपनी आवाज नहीं उठा सकेगा।
मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में थानेदार ने दलित युवकी को पीटा, गालियां दी, लेकिन कोई कार्रवाी नहीं
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र बरहेट में बरहेट प्रभारी हरीश पाठक का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे एक युवती की पिटाई करते और कथित तौर पर गाली बकते सुनाई पड़ रहे हैं। पीड़िता राखी कुमारी बरहेट स्थित इरकोन रोड की रहने वाली है। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को लिखित तौर पर बताया कि बीते 22 जुलाई को थाना प्रभारी ने हमें थाना बुलाया था। जब हम वहां पहुंचे, तो उन्होंने कहा कि तुम रामू मंडल से शादी करने वाली हो। मैंने बताया कि हम दोनों में प्यार है और रामू मंडल से ही हम शादी करेंगे। इतना सुनते ही थाना प्रभारी ने मुझे गालियां दी। बाल पकड़ कर खींचा, गालियां दी और थप्पड़ से बेतरह मारा। इससे मेरे नाक से खून बहने लगा।
दर्जनों दलितों को लाठी डंडे से पीटा, लेकिन पुलिस ने आरोपियों का ही साथ दिया
उन्होंने कहा कि पश्चिम सिंहभूम के मझगांव थाना क्षेत्र के हतमादौड़ा गांव में कारवां बस्ती है पास में ही मुस्लिम बस्ती भी है। दलित समाज के लोगों अक्सर उनके घरों पर शौचालयों की साफ-सफाई के लिए जाते हैं। 21 मई 2021 को जब कुछ दलित मजदूर साफ सफाई के लिए मुस्लिम बस्ती नहीं जा सके तो इसका विरोध करते हुए मुस्लिम बस्ती निवासी अफाक असरार एवं उनके साथियों ने गांव में घुसकर कारवां बस्ती में रह रहे दलित परिवार के ऊपर लाठी-डंडे, बैट, पत्थर से हमला कर दिया। जिसमें आधे दर्जन से अधिक दलित समाज के लोग घायल हो गये। लेकिन उनका एफआईआर तक नहीं लिखा गया। जब भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस मामले पर पहल की तो किसी तरह से इनकी एफ आई आर दर्ज कराई गई। लेकिन उसके बाद भी डीएसपी स्तर के अधिकारियों द्वारा दलितों को डराया धमकाया जा रहा है कि वह इस पूरे मामले को रफा-दफा करें नहीं तो उन लोगों के साथ और भी बुरा व्यवहार हो सकता है।
चिरूडीह मामले में भी दलितों को इंसाफ नहीं
ऐसी ही एक घटना जामताड़ा के चिरुडीह गांव में घटी। जहां मुस्लिम समुदाय के साथ मात्र 6 दलित परिवार भी रहता है। जिसे मुस्लिम समुदाय के ही मो. रमजान मियां एवं उनके लोगों ने जबरन मारपीट कर पहले तो उनके घर पर कब्जा किया, उसके बाद उन्हें मारपीट कर उन्हें घर से बेघर कर दिया। काफी दिनों तक उन्होंने उपायुक्त और स्थानीय जिला प्रशासन से गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। आखिरकार जब यह मामला भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के पास पहुंचा तो मोर्चा ने इस मामले को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक पहुंचाने का काम किया।
लेकिन डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद भी अभी तक न तो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और ना ही पीड़ित परिवार को जिला प्रशासन की तरफ से रहने और खाने की व्यवस्था की गई है। पीड़ित परिवार आज फिर से रैन बसेरा में अपने छोटे बच्चों, बुजुर्गों के साथ रहने को मजबूर है।
भूखल घासी के परिवार को नहीं मिली मदद
अमर बाउरी ने बताया कि बोकारो जिला के कसमार प्रखंड के करमा पंचायत गांव, शंकरडीह निवासी भूखल घासी की मौत भूख के कारण 6 मार्च 2020 को हो गई थी। जिसके 6 महीने के बाद ही भुखल घासी के बेटे की मौत भी भूख के कारण हो गई। वही 4 सितंबर 2020 को भूखल घासी की बेटी की भी मौत भी भूख के कारण हो गई। एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो जाने के बाद भी जिला प्रशासन के तरफ से पीड़ित परिवार को न तो कोई मुआवजा और ना ही किसी प्रकार की खाने की व्यवस्था की गई। वही डेढ़ वर्ष गुजर जाने के बाद भी आज तक कोई भी जिला अधिकारी या सत्ता पक्ष के नेता पीड़ित परिवार की सुध लेने नहीं पहुंचे हैं। इस मामले को लेकर कई बार विधान सभा में सवाल भी उठाये गये।

