हैदराबाद: तेलंगाना की सीआईडी ने हैदराबाद क्रिकेट संघ (HCA) में बड़ी आर्थिक अनियमितताओं और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों का पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया है कि बीसीसीआई द्वारा जारी किए गए ₹2.32 करोड़ का गलत इस्तेमाल किया गया है। इस घोटाले में एचसीए के अध्यक्ष जगन मोहन राव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
🔹 जाली दस्तखत और फर्जी क्लब बनाकर चुनाव लड़ा:
एफआईआर और रिमांड रिपोर्ट के अनुसार, जगन मोहन राव ने पूर्व मंत्री कृष्णा यादव के हस्ताक्षर फर्ज़ी तरीके से कर, गोल्लीपुरा क्रिकेट एसोसिएशन का नाम श्री चक्र क्रिकेट क्लब में बदल दिया। बाद में, राजेंद्र यादव की पत्नी कविता को क्लब का अध्यक्ष और राजेंद्र यादव को महासचिव बना दिया गया।
इसके बाद, जगन मोहन राव इस क्लब में शामिल हुए और सिर्फ एक महीने की सदस्यता होने के बावजूद 20 अक्टूबर 2023 को हुए एचसीए अध्यक्ष पद के चुनाव में हिस्सा लेकर विजयी हो गए, जबकि नियमों के अनुसार कम से कम एक साल की सदस्यता अनिवार्य है।
🔹 गिरफ्तारियां और जमानत:
सीआईडी ने इन लोगों को गिरफ्तार किया:
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जगन मोहन राव – अध्यक्ष, HCA
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राजेंद्र यादव – महासचिव, श्री चक्र क्लब
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कविता – अध्यक्ष, श्री चक्र क्लब
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सीजे श्रीनिवास राव – कोषाध्यक्ष, HCA
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सुनील कांते – मुख्य कार्यकारी अधिकारी, HCA
इन्हें मलकाजगिरी कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें चंचलगुड़ा और चेरलापल्ली जेल भेज दिया गया। वहीं, एचसीए सचिव देवराज अभी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
🔹 वित्तीय अनियमितताओं की झलक:
सेवा | खर्च की गई राशि |
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प्लंबिंग (IPL 17 & 18) | ₹21,70,742 (जबकि कार्य सनराइजर्स हैदराबाद द्वारा किया गया था) |
एसी इंस्टॉलेशन (IPL 18) | ₹11,85,609 (बिना टेंडर) |
इलेक्ट्रिक उपकरण | ₹6,85,418 (बिना पारदर्शिता) |
कैटरिंग | ₹31,07,700 (L1 को नजरअंदाज कर L2 को अनुबंध) |
क्रिकेट गेंदें (2024–25) | ₹1,03,74,118 (1,340 गेंदें, बिलिंग संदिग्ध) |
खिलाड़ियों की यूनिफॉर्म | ₹56,84,605 (बिना टेंडर के) |
🔹 ईडी की जांच शुरू:
सीआईडी की रिपोर्ट के बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है। ईडी ने सीआईडी से एफआईआर, रिमांड रिपोर्ट और गवाहों के बयान की जानकारी मांगी है। जल्द ही इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया जा सकता है।
सीआईडी का मानना है कि यह घोटाला एक सुनियोजित षड्यंत्र है, जिसमें पद का दुरुपयोग, जालसाजी, नीलामी प्रक्रिया का उल्लंघन और बड़े स्तर पर वित्तीय गड़बड़ियाँ शामिल हैं।