
हाईकोर्ट ने दो साल पहले बोकारो में भूख से मौत मामले की सुनवाई करते हुए बेहद तल्ख टिप्पणियां की। कोर्ट ने कहा कि कहा कि गांव में विकास नहीं पहुंचना ही नक्सलवाद को बढ़ावा देता है। आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां पर राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। राज्य की योजनाएं केवल कागजों पर सिमट कर रह गई हैं।
समाज कल्याण विभाग के सचिव को पेश होने का आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारें आज भी जनता को जंगली की तरह ही ट्रीट करती हैं। बिरहोर समाज के लोग पत्ता खाने को मजबूर हैं। गैस चूल्हा, शौचालय और स्वच्छ पानी तक की भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। राशन के लिए उन्हें 8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। अदालत ने सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को अगली सुनवाई के दौरान पेश होने का आदेश दिया। मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
क्या गांव में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं पहुंचा सकती सरकार ?
कोर्ट ने कहा कि क्या राज्य सरकार गांव में चिकित्सा सुविधा, स्कूल, शुद्ध पीने का पानी, रसोई गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं उपलब्ध करा सकती है। अदालत ने कहा कि इसके लिए जिम्मेवार अधिकारी कहां है और क्या कर रहे है। सीओ, बीडीओ क्या कर रहे है।
दो साल पहले बोकारो में तीन लोगों की भूख से हो गई थी मौत
दरअसल मामला 2 साल पुराना है। बोकारो के कसमार में एक ही परिवार के तीन लोगों की भूख से मौत की खबर मीडिया में आने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। इसमें झालसा से रिपोर्ट पेश करने और सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने कहा था कि भूख से किसी की मौत नहीं हुई थी। जबकि झालसा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगों का जीवन दयनीय है।