रांची : झारखंड में धार्मिक स्थल छोड़कर सभी चीजें खुल गयी हैं। यह बात समझ से परे है। मंदिरों के नहीं खुलने से जहां धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, वहीं बड़ी संख्या में इनसे जुड़े लोग बेरोजगारी से शिकार हो गये हैं। उनके परिवारों का लालन-पालन मुश्किल हो गया है। ये बातें झाारखं के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कही ।
पूरे देश में धार्मिक संस्थाओं को खोल दिया गया, तो झारखंड में क्यों नहीं?
उन्होंने कहा कि देश के दूसरे शहरों में बड़े मंदिर भी भक्तों के लिए खोल दिये गये हैं। पुरी का जगन्नाथ धाम हो या उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर समेत अन्य प्रमुख मंदिर भक्तों के लिए खोल दिये गये हैं। आज मथुरा-वृंदावन, द्वारका सभी स्थानों पर कृष्ण जन्माष्टमी धुमधाम से मनायी जायेगी, लेकिन झारखंड में हेमंत सरकार के तानाशाही रवैये के कारण यहां के कृष्ण भक्त मायुस ही रहेंगे। झारखंड में द्वादर्श ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर से जुड़े पूजारी व दुकानदार आंदोलन कर रहे हैं। मां छिन्नमस्तिका के द्वारा खुलाने के लिए लोग आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इससे संवेदनहीन हेमंत सरकार का कोई सरोकार नहीं है।
क्या हेमन्त सरकार में कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने की क्षमता नहीं ?
यह सही है कि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है, लेकिन कोरोना नियमों का पालन करते हुए जब देश के दूसरे बड़े मंदिर खोले जा सकते हैं, तो झारखंड के मंदिर क्यों नहीं खोले जा रहे हैं। क्या हेमंत सरकार के पास कोविड प्रोटोकॉल को लागू कराने की क्षमता या योग्यता नहीं है। मेरी मांग है कि कोविड प्रोटोकोल का पालन कराते हुए मंदिरों व धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति देनी चाहिए।
कांग्रेस नेताओं द्वारा भीड़ इकट्ठा करने पर भी सवाल
सत्ताधारी दलों के नेताओं के स्वागत में कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ायी जाती हैं, उनक मंत्री भीड़ इक्कठा कर भाषण देते हैं, उस समय हेमंत सोरेन सरकार को कोरोना की याद नहीं आती है। उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। क्या तब कोरोना नहीं फैलता है ।
नवरात्र को लेकर भी तुस्टीकरण का आरोप
रघुवर दास ने कहा कि नवरात्र आनेवाले हैं। एक महीने का ही समय बचा हुआ है, लेकिन नींद में सोई हेमंत सोरेन सरकार ने दुर्गा पूजा पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। पूजा-पंडाल वाले उनसे आग्रह कर रहे हैं, लेकिन हेमंत सोरेन सरकार की प्राथमिकताएं दूसरी हैं। हेमंत सरकार के तानाशाही रवैये का हिंदू समाज विरोध करता है। सरकार ने शीघ्र कोई निर्णय नहीं लिया, तो भाजपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर कर इसका विरोध करेंगे।