नई दिल्ली: जैसे-जैसे गर्मी का प्रकोप पूरे भारत में बढ़ता जा रहा है, शहरी क्षेत्रों में तापमान ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण है Urban Heat Island (UHI) प्रभाव, यानी जब शहरों का तापमान आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में अधिक होता है। यह प्रभाव बेतरतीब शहरीकरण, हरियाली की कमी, जल स्रोतों का नुकसान और पक्की सतहों की भरमार के कारण होता है।
ग्रीनपीस की जलवायु विशेषज्ञ सेलोमी गार्नाइक के अनुसार, “भारत के शहरों में UHI प्रभाव का मुख्य कारण है कंक्रीट और डामर जैसे गर्मी सोखने वाले निर्माण पदार्थ, हरियाली और जल निकायों की कमी, वाहनों और एयर कंडीशनर से निकलने वाली गर्मी। ये सभी मिलकर शहरों को दिन और रात में गर्म बनाए रखते हैं।”
प्रमुख प्रभाव:
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स्वास्थ्य पर खतरा: हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, सांस की समस्या, दिल की बीमारी, खासतौर पर बुजुर्गों, बच्चों और मजदूरों के लिए जानलेवा।
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ऊर्जा की मांग: एसी और कूलिंग सिस्टम के कारण बिजली की मांग बढ़ती है, जिससे ग्रिड पर दबाव और बिजली कटौती होती है।
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पर्यावरणीय असर: तापमान में वृद्धि से ओज़ोन और अन्य प्रदूषकों का निर्माण बढ़ता है, जिससे वायु गुणवत्ता खराब होती है।
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जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा: UHI प्रभाव ग्लोबल वॉर्मिंग में योगदान देता है, जिससे एक प्रकार का दुष्चक्र बनता है।
महानगरों में असर:
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दिल्ली: पितमपुरा और मंगेशपुर जैसे इलाकों में सफदरजंग की तुलना में 6°C ज्यादा तापमान।
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हैदराबाद: शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण इलाकों से 2-3°C अधिक तापमान, परंतु उमस और ‘लू’ के कारण शरीर पर अधिक असर।
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मुंबई: वसई और पवई में तापमान में 13°C का अंतर, हरियाली वाले इलाकों में ठंडक स्पष्ट।
समाधान:
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हरियाली बढ़ाना: शहरी वनों, छायादार पेड़ों और पार्कों को बढ़ावा देना।
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प्रतिबिंबकारी निर्माण सामग्री: सफेद या हल्के रंग की छतें, कूल रूफ तकनीक का उपयोग।
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जल निकायों का पुनर्निर्माण: शहरी क्षेत्रों में झील, तालाब, फव्वारे जैसे जल स्रोत बढ़ाना।
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सतत शहरी नियोजन: हरे क्षेत्रों और जल निकायों को शहरी डिजाइन में शामिल करना।
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जन जागरूकता: हीट वेव के दौरान सावधानियां, दोपहर 12 से 3 के बीच बाहर न निकलने की सलाह।