लखनऊ: ताजमहल से संबंधित याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने की मांग के औचित्य पर सवाल उठाया. साथ ही याचिकाकर्ता के याचिका पर तीखी टिप्पनी करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिका समुचित और न्यायिक मुद्दों पर आधारित नहीं है.
जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने ताजमहल पर दायर विवाद में गुरुवार को सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि आप कौन से जजमेंट दिखा रहे हैं. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट पेश किए, जिनमें अनुच्छेद 19 के तहत बुनियादी अधिकारों और खासकर उपासना, पूजा और धार्मिक मान्यता की आजादी का जिक्र है.
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा, ‘मैंने पाया कि यह याचिका आगरा में स्थित ताजमहल के इतिहास के संबंध में एक अध्ययन के लिए एक निर्देश की मांग करती है. दूसरी प्रार्थना ताजमहल के अंदर बंद दरवाजों को खोलने की है. हमारी राय है कि याचिकाकर्ता ने हमें पूरी तरह से गैर-न्यायसंगत मुद्दे पर फैसला देने का आह्वान किया है.’