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Hemant Soren News झारखंड के सूखा प्रभावित क्षेत्र के किसानों को हेमंत सोरेन सरकार ने प्रति एकड़ तीन हजार रुपये राहत उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। यह राशि बैंक खाते में भेजी जाएगी। इसके अलावा प्रखंडों में अनुदानित दर पर दलहन और तिलहन बीज दिया जा रहा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Good News For Jharkhand Farmers झारखंड में सुखाड़ से निपटने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। प्रभावित प्रखंडों के चयन के बाद किसानों को धान की फसल के नुकसान के आधार पर सहायता राशि तय की जा रही है। 30 से 40 प्रतिशत तक का नुकसान होने पर किसानों को 3000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता देने का प्रविधान किया जा रहा है। इसके अलावा मवेशियों के चारे के लिए अतिरिक्त सहायता देने की योजना भी विभाग बना रहा है। मवेशियों के लिए निश्शुल्क सूखा चारा उपलब्ध कराने के लिए बाहर की कंपनियों से संपर्क किया गया है।
कम कीमत पर बीज भी देगी झारखंड सरकार
राज्य में तीन लाख हेक्टेयर भूमि पर दलहन की खेती करने के लिए कृषि निदेशालय ने प्रखंड कार्यालय के जरिए किसानों को अनुदानित दर पर दलहन के बीज उपलब्ध कराने की शुरुआत की है। खासकर पलामू में दलहन की खेती पर राज्य सरकार का ज्यादा जोर है। ब्लाकचेन तकनीक का प्रयोग कर किसानों को कुर्थी, मसूर, चना और मटर के बीज दिए जा रहे हैं। ब्लाकचेन तकनीक के जरिए किसानों को यह पता रहता है कि उन्हें जो बीज मिल रहा है, वह कहां से उत्पादित है। इससे नकली और खराब गुणवत्ता के बीजों से बचा जा सकता है।
किसान के बैंक खाते में भेजी जाएगी राहत राशि
कम बारिश की वजह से धान की खेती नहीं कर पाने वाले किसानों को झारखंड फसल योजना से राहत राशि जल्द ही उनके खाते में देने की तैयारी सरकारी स्तर पर की गई है। इस योजना के तहत प्रभावित किसानों को बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किया जाना है। इसके लिए नोडल एजेंसी जिला का कृषि विभाग को बनाया गया है। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक उच्चस्तरीय समिति की बैठक में पलामू और संथालपरगना प्रमंडल में सुखाड़ से राहत के लिए अधिकारियों को स्थल निरीक्षण का निर्देश दिया था।
राहत के लिए पांच लाख किसानों ने कराया पंजीयन
कृषि निदेशक निशा उरांव ने सुखाड़ का जायजा लेने के बाद विभाग को राहत राशि किसानों तक जल्द पहुंचाने का निर्देश दिया है। फसल राहत योजना के तहत प्रारंभिक तौर पर 100 करोड़ की राशि किसानों को देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए अबतक पांच लाख से ज्यादा पंजीकृत किसानों ने आवेदन किया है।
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