नई दिल्ली: 31 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात विश्व का ध्यान आकर्षित करेगी। यह बैठक यूरोएशियाई शक्ति और ‘एशिया की ओर झुकाव’ का प्रतीक है।
यह बैठक BRICS जैसे वैश्विक मंचों और बहुध्रुवीय अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगी। चीन ने इसे सफल बनाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं, और बैठक के बाद 3 सितंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की 80वीं वर्षगांठ पर चीनी सैन्य परेड आयोजित होगी।
प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह अवसर यह दिखाने का है कि भारत अमेरिकी दबाव के बावजूद अपनी स्वतंत्र नीति बनाए रखेगा। SCO देशों के लिए इस बैठक में स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यापार पर जोर, क्षेत्रीय व्यापार और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में संभावित समझौते और आतंकवाद के मुद्दों पर व्यापक चर्चा होगी।
भारत और चीन के बीच संबंधों के सामान्यीकरण की प्रक्रिया इस बैठक को और महत्वपूर्ण बनाती है। अक्टूबर 2024 में BRICS समिट, कज़ान में हुई मुलाकात के बाद सीमा विवाद (2022 के गलवान संघर्ष) के बाद जमी हुई रिश्तों को “डिफ्रीज़” किया गया। अगस्त 2025 में विदेश मंत्रियों की वार्ता में ‘दस बिंदु सहमति ढांचा’ तैयार किया गया, जिसमें सीमा प्रबंधन, सैन्य बिंदुओं पर सामान्य स्तर की बातचीत, पार-सीमा नदी सहयोग और पारंपरिक सीमा व्यापार बाजारों को फिर से खोलने पर सहमति बनी।
इस SCO बैठक में रूस, चीन और भारत की क्षमता बहुध्रुवीय व्यवस्था के निर्माण को जारी रखने की है, जिससे वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए बेहतर विकास की संभावनाएं खुलती हैं।