गिरिडीह। बेंगाबाद प्रखंड के लगभग सभी गावों में जंगल की अंधाधुंध कटाई जारी है। ग्रामीण जलावन के नाम पर काट रहे हैं तो माफिया लकड़ी के लिए । वैसे भी बहुत कम जंगल बचे हैं, लेकिन इसके बावजूद रात अंधेरे में पेड़ों की कटाई जारी है। वन माफिया लकड़ियां ले जाते हैं और पतली टहनियां और सूखे पत्ते ग्रामीणों के लिए छोड़ देते हैं। भोले-भाले गांव वालों को लगता है कि माफिया के चक्कर में उनका फायदा ही है। वे मुफ्त में टहनियां और सूखे पत्ते जलावन के लिए बटोर रहे हैं। कुछ ग्रामीण तो इसकी आड़ में पेड़ों को भी काट रहे हैं, लेकिन बदनामी वन माफियाओं की होती है।
वन विभाग सो नहीं रहा, सोने का नाटक कर रहा है
वन संरक्षक नामक एक संगठन गठित किया जाता है, लेकिन इसका कोई प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा। नियम कहता है कि ग्रामीणों द्वारा जंगल काटना या जंगल से कच्ची लकड़ी या हरी पत्ती लाते हुए पकड़े जाने पर दंडित किया जाएगा, लेकिन इसका कोई असर नहीं होता दिख रहा है । जंगल विभाग के कर्मचारी डी एफ वो को भी जंगल को लेकर गंभीर नहीं है नाही जंगल बचाव के लिए कोई करवाई की गई है। जंगल विभाग की लापरवाही कहे या ग्रामीणों के नासमझी जो भी हो जिस तरह से रातो रात जंगल काटा जा रहा है वो चिंता का विषय है अभी भी जंगलो की कटाई का प्रमाण देखा जा सकता है ।
अधिकतर जंगल जलावन के लिए काटे जाते है केंद्र सरकार की और से उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस दिया गया लेकिन गैस के दाम आसमान छू रही है जिस वजह से केंद्र सरकार का मुफ्त गैस घर की शोभा बन कर रह गई है और ग्रामीण जलावन के लिए जंगलो की अंधाधुंध कटाई कर रहे है।