प्रयागराज महाकुंभ:
27 साल पहले झारखंड के गंगासागर यादव लापता हो गए थे। परिवार ने उन्हें हर जगह खोजा लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। वक्त बीतने के साथ परिवार ने भी उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन महाकुंभ में कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको चौंका दिया।
अघोरी साधु को देखकर सन्न रह गया परिवार
प्रयागराज महाकुंभ में गंगासागर यादव के एक रिश्तेदार ने एक अघोरी साधु को देखा। साधु को देखते ही रिश्तेदार ने झारखंड में रह रहे यादव के परिवार को सूचना दी। दावा किया गया कि यह साधु कोई और नहीं बल्कि गंगासागर यादव ही हैं।
यह सुनते ही गंगासागर यादव की पत्नी धनवा देवी और उनके दोनों बेटे कमलेश और विमलेश तुरंत प्रयागराज महाकुंभ पहुंच गए। बच्चों ने पिता को पहचानने का दावा किया। परिवार ने कहा कि अघोरी साधु के शरीर पर चोट के वही निशान हैं जो गंगासागर यादव के शरीर पर थे।
परिवार का दावा, मगर साधु ने किया इंकार
अघोरी साधु, जो खुद को राजकुमार बाबा कहते हैं, ने परिवार के दावे को नकार दिया। उन्होंने कहा, “मैं झारखंड का नहीं, बल्कि वाराणसी का रहने वाला साधु हूं। मेरा गंगासागर यादव से कोई संबंध नहीं है।”
परिवार ने की डीएनए टेस्ट की मांग
परिवार ने इस विवाद को सुलझाने के लिए डीएनए टेस्ट की मांग की है। उनका कहना है कि डीएनए जांच ही असली पहचान को साबित करेगी।
चिन्हों और निशानों से पहचान का दावा
परिवार का कहना है कि अघोरी साधु के शरीर पर जो निशान और चोट के दाग हैं, वे गंगासागर यादव के पुराने निशानों से मेल खाते हैं।
महाकुंभ में साधु बाबा पर रखी जा रही है नजर
कुछ परिवारजन वापस झारखंड लौट चुके हैं, जबकि कुछ अभी भी महाकुंभ में ही डटे हुए हैं और बाबा राजकुमार पर नजर रखे हुए हैं।
परिवार ने दिया वचन:
गंगासागर यादव के भाई ने कहा, “अगर डीएनए टेस्ट में हमारा दावा गलत साबित हुआ, तो हम बाबा से हाथ जोड़कर माफी मांग लेंगे।”