
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले लोग काफी मेहनती हैं। मेरा मानना है कि ऐसे मेहनतकश लोगों को सरकार द्वारा सही समय पर उचित मार्गदर्शन और सहायता उपलब्ध कराया जाए तो किसान आर्थिक स्वावलंबन की ओर आगे बढ़ सकेंगे। आज से झारखंड के किसानों को बिरसा किसान के नाम से जाना जाएगा। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में आयोजित बिरसा किसान के सम्मान में केसीसी एवं मुख्यमंत्री पशुधन वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।
वनोपज को मिलेगा बढ़ावा, बाजार और उचित मूल्य की होगी व्यवस्था
उन्होंने कहा कि लाह, सिल्क इत्यादि चीजों का उत्पादन झारखंड राज्य में सबसे अधिक होता है परंतु इन संपदाओं का पूरा लाभ हमें नहीं मिल पाता है। हमारे किसान भाई मेहनत करते हैं और फल दूसरे लोग खा रहे हैं। प्रकृति ने हमें यहां के जंगलों में जो चीजें दी थी उससे हमारे किसान आर्थिक रूप से मजबूत थे परंतु समय के साथ-साथ चीजें बदलती गई और आज हम प्रकृति से मिले संसाधनों को आय का स्रोत नहीं बना पा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार वनोपज हेतु व्यवस्था दुरुस्त करने में लगी है। किसानों को वनोपज के लिए बाजार और उचित मूल्य उपलब्ध हो सके इस निमित्त प्रतिबद्धता के साथ कार्य किए जा रहे हैं। जल्द ही बन उपज के विस्तार के लिए फेडरेशन बनाए जाएंगे।
खेत किसानों का बैंक और पशुपालन एटीएम
हेमन्त सोरेन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के लिए खेत उनका बैंक और पशुधन एटीएम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय ऐसा था जब लोग गांवों में झुंड के झुंड जानवर लेकर चराने के लिए जाया करते थे ऐसी तस्वीरें अब देखने को नहीं मिल रही हैं। पशुधन जैसे आय के स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार ने पशुपालन पर विशेष बल दिया है। ग्रामीण किसान एवं खेतिहर मजदूर भाईयों को सब्सिडियरी पर पशु एवं पशु शेड उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 40% बच्चे जन्म लेते ही कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सप्ताह में 6 दिन इन बच्चों को अण्डा उपलब्ध कराया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बच्चों को कुपोषण मुक्त करना हमारा संकल्प है।