- *कुटुंब न्यायालय ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, बंधनी देवी को मिला भरण पोषण का अधिकार*।
*न्यायालय के फैसले से समाज में महिला का सम्मान बढा:अधिवक्ता राम अवधेश पाठक*।
नवीन कुमार पाण्डेय
चतरा: कहां जाता है कि जिस देश में नारी कि पूजा की जाती है वहां देवता भी निवास करते हैं परंतु यह बात आज के परिवेश में बिल्कुल मिथ्या साबित हो रहा है। समाज में चारों ओर नारी जाति की प्रताड़ना देखने को मिल रहा है ,चाहे वह दहेज की बली बेदी हो या फिर दरिंदों का खौफ! आज नारी कही भी सुरक्षित नहीं है। कुछ ऐसा ही बाक्या झारखंड राज्य के चतरा जिले में भी देखने को मिला, जहां एक नारी चीख चीख कर अपने ऊपर ढाए गए जुल्मों की आपबीती न्यायालय सुनती हुई नजर आई। यह मामला चतरा जिले के पिपरवार थाना क्षेत्र के होसीर गांव का है, जहां जगदीश महतो नामक व्यक्ति अपनी पहली पत्नी बन्धनी देवी के रहते हुए एक दूसरी महिला हुलासरी से विवाह रचा लिया। और तो और वह पहली पत्नी को वाजबरन अपने घर से निकाल बाहर कर टूटे-फूटे खपरेल मकान में रहने के लिए छोड़ दिया। बंधनी देवी से एक लड़का तथा एक लड़की है जबकि दूसरी पत्नी से चार संतान है। जगदीश महतो अपनी दूसरी पत्नी के साथ दो मंजिला पक्का मकान में एसो आराम के साथ अपना जीवन गुजार रहा था। बंधनी देवी जब भूख प्यास से तड़पने लगी तो थक हार कर स्थानीय पंचायत का सहारा लेने के लिए विवश हो गई, जहां पंचों के द्वारा प्रतिमाह 6000 रुपए गुजारा भत्ता देने का फैसला सुनाया गया परंतु जगदीश को तो कुछ और ही मंजूर था और वह इस राशि को भी देना मुनासिब नहीं समझा। अंत में थक हार कर पहली पत्नी ने अपने पति के विरुद्ध कुटुंब न्यायालय चतरा में वर्ष 2022 में बाद संख्या 67/ 2022 दर्ज कराई, जहां अधिवक्ता राम अवधेश पाठक का इसे सहारा मिला। अधिवक्ता श्री पाठक का प्रयास रंग लाया और इन्होंने अपने विशेष अंदाज में न्यायालय के समक्ष पुख्ता सबूत एवं दस्तावेज प्रस्तुत किया। अंततः कुटुंब न्यायालय ने 20 मार्च को अपने ऐतिहासिक फैसले में सीसीएल कर्मी जगदीश महतो को अपनी पहली पत्नी बंधनी देवी को भरण पोषण के लिए 17,500 रूपये प्रति माह देने का फैसला सुनाया तथा इस फैसले को सख्ती से पालन करने का न्यायालय द्वारा आदेश भी पारित किया गया। बंधनी देवी की ओर से जहां श्री राम अवधेश पाठक अधिवक्ता के रूप में अपना अहम भूमिका निभाये तो वही जगदीश महतो की ओर से अधिवक्ता संतोष कुमार थे। न्यायालय के फैसले से पूरे नारी जाति का सम्मान बढ़ा है ।इस संदर्भ में अधिवक्ता श्री पाठक का कहना है कि समाज में आए दिन महिलाओं का शोषण हो रहा है, बंधनी देवी जैसी अनगिनत महिलाएं जुल्म की चक्की में प्रतिदिन पीस रही हैं। यदि इसी प्रकार न्यायालय निष्पक्ष फैसला सुनाती रही तो वह दिन दूर नहीं जब महिला वर्ग को भी समाज में उच्च दर्जा प्राप्त हो सकेगा तथा इनका अधिकार का हनन नहीं हो पाएगा।